खुशी थोड़े समय के लिए ही संतुष्टि देती है,
_ मगर संतुष्टि हमेशा के लिए खुशी देती है.
आप पूरी ज़िंदगी खुद के लिए..खुद के परिवार के लिए अच्छा बुरा हर काम करते हैं..
_ हर कीमत पर दुनिया जहान की चीजें जुटाते हैं..
_ एक दिन दुनिया की तमाम दौलत आपके कदमों में पड़ी होती है, आप बहुत सफल व्यक्ति माने जाते हैं,
_ आप खुश दिखते हैं, सुखी दिखते हैं पर संतुष्ट नहीं दिखते क्यों !
_ क्योंकि तमाम उम्र आप खुद के लिए, खुद के परिवार मात्र के लिए सोचते, करते रहे, कभी किसी अन्य के बारे में सोचा ही नहीं..
_ संतुष्टि और सच्चा सुख तभी मिलता है जब आपके आसपास के लोग भी गरिमापूर्ण जीवन जीने की न्यूनतम अर्हता पूरी करते हों..
_ आप छप्पन व्यंजन खाते हों और आपका पड़ोसी भूखा हो, आप महल में रहते हों और आपके परिचित झोपड़ी में रहें, आप अपने शौक पर लाखों करोड़ों खर्च कर देते हों और आपके परिवार या पड़ोस का कोई बच्चा फीस के बिना पढ़ाई न पूरी कर पाया हो, कोई इलाज के अभाव में मर गया हो..
_ तो यकीन मानिए आप सुखी दिख सकते हैं पर संतुष्ट नहीं..
_ संतुष्टि और सच्चा सुख दूसरों के लिए कुछ कर के ही प्राप्त होती है और वह कुछ करना बहुत कठिन नहीं होता, बस अपनी सोच से हम उसे कठिन बना देते हैं..