हिंदी में एक कहावत है… “बाज़ के बच्चे मुँडेर पर नही उड़ते.
_ “बेशक अपने बच्चों को अपने से चिपका कर रखिए, पर उसे दुनियां की मुश्किलों से रूबरू कराइए,
_ उन्हें मुश्किलों से लड़ना सिखाइए, बिना आवश्यकता के भी संघर्ष करना सिखाइए.
_ एक बात हमेशा याद रखिए…
_”गमले के पौधे और जंगल के पौधे में बहुत फ़र्क होता है.!!
चार दिन बाज के ना उड़ने से.. आसमान कबूतरों का नहीं होता.!!