सम्पूर्ण शान्ति वह है जिसमें हम दूसरों के चिढ़ाने या तानों को सहन कर लेते हैं,
हमें इन बातों को ऐसे सहन करना चाहिए जैसे किसी उल्टे घड़े पर पानी उँड़ेला जा रहा हो,
वह घड़ा अपने भीतर पानी को बिलकुल नहीं लेता.
हमें इन बातों को ऐसे सहन करना चाहिए जैसे किसी उल्टे घड़े पर पानी उँड़ेला जा रहा हो,
वह घड़ा अपने भीतर पानी को बिलकुल नहीं लेता.