जीवन में करीब करीब ऐसा ही हो रहा है,
जो दुख हमने दूसरों को दिए हैं, वे लौट आएँगे.
जो सुख हमने दूसरों को दिए हैं, वे भी लौट आएँगे.
दुख भी हजार गुने होकर लौट आते हैं,
सुख भी हजार गुने होकर लौट आते हैं.
अपना सुख ऐसा बनाना कि आप पर ही निर्भर हो,
दूसरे के दुख पर निर्भर न हो.