*किसी दिन एक मटका और गुलदस्ता साथ में खरीदा हो और घर में लाते ही 50 रूपये का मटका अगर फूट जाए तो हमें इस बात का दुःख होता है।* क्योंकि मटका इतनी जल्दी फूट जायेगा ऐसी हमें कल्पना भी नहीं थीं। *परंतु गुलदस्ते के फूल जो 100 रूपये के हैं, वो शाम तक मुरझा जाएं, तो भी हम दुःखी नहीं होते।* क्योंकि ऐसा होने वाला ही है, यह हमें पता ही था।
*मटके की इतनी जल्दी फूटने* की हमें अपेक्षा ही नहीं थीं, तो फूटने पर दुःख का कारण बना। *परंतु फूलों से अपेक्षा थीं, इसलिए वे दुःख का कारण नहीं बने।* इसका मतलब साफ़ है कि *जिसके लिए जितनी अपेक्षा ज़्यादा,* उसकी तरफ़ से उतना दुःख ज़्यादा और जिसके लिए जितनी अपेक्षा कम, *उसके लिए उतना ही दुःख भी कम।।*
*”ख़ुश रहें .. स्वस्थ रहें .. मस्त रहें ..”*
*स्वयं विचार करें ..
_ फिर भी हमें बिना शिकायत किए सभी निराशाओं को स्वीकार करना चाहिए.”
_ मिट्टी के गुलदस्ते की कोई उम्र नहीं होती..
_उस को माचिस लगा दो, क्योंकि वहां सिर्फ दुःख और पीड़ा है..!!
शायद आप अन्य लोगों से बहुत अधिक अपेक्षा करते हैं और उन्हें अपने साथ छेड़छाड़ करने देते हैं,
_जिसके परिणामस्वरूप जब चीज़ें आपकी अपेक्षा के अनुरूप नहीं होती तो आप औरों को दोष देने लगते हैं.
_आप कभी भी वह नहीं बन पाएंगे जो आप बनना चाहते हैं यदि आप अभी जो भी हैं _उसके लिए हर किसी को दोष देते रहेंगे.
_क्योंकि जब आप अपनी स्थिति से ज्यादा करने की कोशिश करते हैं
_तब भी बहुत दुखों का सामना करना पड़ता है..!!
_ उनको मिटाने की चिंता नहीं करते.!!
_ कुछ दुख बेहद निजी होते है वो केवल हमारे अंतर्मन में रिसते रहते है..!!
_ जो दुःख देने वाले को कभी-न-कभी, किसी न किसी के हाथों ब्याज सहित वापस मिलेगा ही मिलेगा.
_ हमें अपने आस-पास के लोगों को दुःख देने का कोई अधिकार नहीं है..!!
-कभी हद से ज्यादा फरमाइश ना रखें _क्योंकि जब आप ज्यादा फरमाइशें रखेंगे _और वह किसी कारणवश पूरी नहीं हो सकेगी _तो भी आप बहुत दुखी होंगे.!!
_ इस तरह, आप जीवन में बहुत अधिक निराशा से बचेंगे.
Absolutely relieving if you practice it! Cause nowadays disappointments happen like daily! Hence reduce expectations to zeroThat way, you avoid too much disappointment in life.
Don’t blame people for disappointing you, blame yourself for expecting too much from them