सुविचार 351 | Nov 1, 2014 | सुविचार | 0 comments उलझने वहीँ पैदा होती हैं, जहाँ हम अपना जीवन जीते- जीते दूसरे का भी जीवन जीने लगते हैं और उम्मीद करने लगते हैं कि वह आँख मूंद कर हमारी हर बात माने. Submit a Comment Cancel reply Your email address will not be published. Required fields are marked *Comment Name * Email * Website Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ