जिस की अपनी कोई राय नहीं, बल्कि जो दूसरों की राय और रूचि पर निर्भर रहता है वह गुलाम है.
जिस की अपनी कोई राय नहीं, बल्कि जो दूसरों की राय और रूचि पर निर्भर रहता है वह गुलाम है.
हम हमेशा दूसरों के बारे में अपनी राय बहुत जल्दी बना लेते हैं कि सामने वाला कैसा है !!
आप किसी के बारे में जो राय अपने मन में बनाते हैं,
_ कोई ज़रूरी नहीं कि वही सही हो.
_ राय आपके मन की फैक्ट्री में बनी है.
_ निर्माता आप है.
_ आप आजाद हैं किसी के लिए कुछ भी सोचने के लिए,
_लेकिन सार्वजनिक करने के लिए नहीं.
_ किसी के बारे में अपने मन की फैक्ट्री में बनी राय को ..किसी के सामने जाहिर करना, किसी की निंदा करना, चुगली करना, चरित्र हनन करना ..ये दुर्गुण है,
_ किसी को जज मत कीजिए.
_ तब तक बिल्कुल नहीं, जब तक आपके पास प्रमाण न हो.
_और ज़रूरी नहीं कि ..आपकी नज़रों का प्रमाण प्रमाण ही हो.
— बहुधा परिस्थितियां कुछ और बयां करती हैं ..जबकि वास्तविकता कुछ और होती है,
_ इसलिए किसी भी इंसान के बारे में कुछ राय बनाने से पहले उसके बारे में वास्तविकता का पता कर लेना चाहिए.
— लेकिन आम आदमी तो सोचने की जहमत भी नहीं उठाता,
_ बस कह बैठता है, ..अपने मन की फैक्ट्री से निकली बात..!!