आगे का रास्ता कठिन, अनिश्चितताओं और सीमाओं से भरा हुआ लग सकता है, लेकिन सबसे ख़राब परिस्थितियों के बीच भी, परिवर्तन की संभावना मौजूद है.
_ सकारात्मकता सफलता की आधी मंजिल है….
कठिन परिस्थिति में मन को मायूस किये बिना, मुकाबला करते हुए उसे अपने अनुकूल बनाने कि कोशिश ही सकारात्मक सोच है.
जरूरत से ज्यादा सकारात्मकता झूठी लगती है, हर इंसान कभी ना कभी नकारात्मक जरूर होता है.. कोई भी पूर्णतया सकारात्मक नही हो सकता.!!
संभावनाओं के दरवाजे तभी खुलेंगे.. जब आप आगे बढ़कर उन्हें खोलना चाहेंगे.