“दोहरा चरित्र आदमी की स्वभाविकता को नष्ट कर देता है,
और अस्वभाविकता सारा जीवन नष्ट कर देती है”
किसी का असली चरित्र तब बाहर आता है..
_ जब उसे वो नहीं मिलता जो वो आपसे चाहता था .!!
और अस्वभाविकता सारा जीवन नष्ट कर देती है”
_ जब उसे वो नहीं मिलता जो वो आपसे चाहता था .!!