आदमी जो होता नहीं है, _उसे दिखाने का प्रयास ही, असहज़ता है.
आदमी वही नहीं होता, जो वो दिखलाता है, बताता है.
_ आदमी वो होता है, जो नहीं दिखलाता, नहीं बताता.
बिना अपना पता जाने ..लोगों का पता ढूंढने निकले मुसाफिर ..कभी मंजिल तक नहीं पहुंच पाते..
_ फिर यात्रा निरर्थक और बेमंजिल रह जाती है.