जीवन जीने से भी ज्यादा माने रखता है, _उसको देखने की दृष्टि..!!
_ जीवन को देखने की दृष्टि हो तो.. कबाड़ में भी कला दिख जाती है ..
… वरना कला भी कबाड़ होकर रह जाती है..!!
ज़िन्दगी को शुरू करने में कोई कलाकारी नहीं है, औघड़, बेघड़, कैसे भी शुरू हो जाता है..
_ पर सही ज़िन्दगी जीने के लिए कला चाहिए.!!
” यदि आप निराश है तो आप अतीत में रह रहे हैं,
अगर आप चिंतित है तो आप भविष्य में रह रहे हैं,
यदि आप शांतचित है, तो ही आप वर्तमान में रह रहे हैं !!”
भविष्य उस कोरे कैनवास की तरह है, _जहां आप हर उस रंग को भर सकते हो..
_जिसे अतीत के कैनवास पर भरना संभव नहीं, _
_ इसलिए भविष्य अतीत से बेहतर है..!!