सुविचार 4107

सिर्फ पुरानी तस्वीरों के ही नहीं बल्कि बीते “वक़्त” के साथ..

उस “तस्वीर” में शामिल रहे किरदारों के भी “रंग” फीके पड़ जाते हैं !

किरदार मत देखिए, ये जरूरतों का दौर है,

_आदमी होता कुछ और है दिखता कुछ और है..!!

सिर और किरदार हमेशा ऊँचा रखें, अच्छे और बुरे दिन आते जाते रहते हैं.
अपने किरदार पर भरोसा रखें, चीखने-चिल्लाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

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