सिर्फ पुरानी तस्वीरों के ही नहीं बल्कि बीते “वक़्त” के साथ..
उस “तस्वीर” में शामिल रहे किरदारों के भी “रंग” फीके पड़ जाते हैं !
किरदार मत देखिए, ये जरूरतों का दौर है,
_आदमी होता कुछ और है दिखता कुछ और है..!!
सिर और किरदार हमेशा ऊँचा रखें, अच्छे और बुरे दिन आते जाते रहते हैं.
अपने किरदार पर भरोसा रखें, चीखने-चिल्लाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.