बहस में ज्ञानी और सच्चे लोग अक्सर मौन हो जाते हैं,
_ अज्ञानी और झूठे लोग खुद को सही साबित करने के लिए जरुरत से ज्यादा दलीलें पेश करते हैं.
दो इंसान कभी एक जैसा सोच नहीं सकते..- इसलिए सारी बहसें अर्थहीन हैं.!!
वो अपने झूठे मद में चूर है, दिमाग ठिकाने आएगा तब तक वक़्त आगे बढ़ चूका होगा !!





