कोई प्रशंसा करे या निंदा दोनों ही अच्छा है,
_ क्योंकि प्रशंसा प्रेरणा देती है और निंदा सावधान होने का अवसर..
कोई इंसान पूरा शत प्रतिशत अच्छा या पूरा शत प्रतिशत बुरा नहीं होता.
_ निन्दा और प्रशंसा साथ-साथ चलते हैं.
प्रशंसा करने वाला आपकी स्थिति देखता है,
_ और चिंता करने वाला आपकी परिस्थिति देखता है..!!