फ़र्क होता है अपनी सोच का, मुश्किलें हमे मज़बूत करती कमज़ोर नही.
ये कांटें, ये धूप, ये पत्थर से क्या डरना,
_ राहें मुश्किल हो जाए तो भी छोड़ी थोड़े न जाती है..!!
लोग काँटों से बच के चलते हैं, मैंने फूलों से ज़ख्म खाए हैं !!
जो कांटें आज हैं राहों में तेरी राह देंगे कल..
_ रुक जाना नहीं तू कहीं हार के, काँटों पे चल के मिलेंगे ..साए बहार के..!!
ये वफ़ा की सख्त राहें ये तुम्हारे पाँव नाजुक,
_ न लो इंतकाम मुझसे मेरे साथ चल चल के..!!