हम किसी भी बात को उसी सीमा तक सोच पाते हैं.. जैसी हमारी surroundings और life experience हैं..
और इन सब के परे हम उसी बात के दूसरे पहलू को सोच ही नही सकते..जबकि ये भी सत्य है कि..हर बात के दो पहलू होते जरूर हैं ।।
और इन सब के परे हम उसी बात के दूसरे पहलू को सोच ही नही सकते..जबकि ये भी सत्य है कि..हर बात के दो पहलू होते जरूर हैं ।।