दिन ब दिन गिर रहा है ” इन्सानियत ” का स्तर… और इन्सान का दावा है कि हम तरक्की पर हैं..!!
दुनिया में तरक्की इतनी हुई कि हज़ारों किलोमीटर दूर बैठे इंसान को देख और सुन सकते हैं ..
_ “पतन’ इतना हुआ की पास बैठे इंसान का दुःख-दर्द, तकलीफ तक दिखाई नहीं देता है.!!
“उन्नति अगर अलगाव पैदा कर दे, अपनों में दूरी भर दे.. तो फिर वह उन्नति है भी या अंधी दौड़ ?
तरक्की व्यस्तता पर नहीं, बल्कि व्यवस्थित काम पर निर्भर करती है !!
आपकी तरक्की और उन्नति से जलेंगे, वो आपको कई मिलेंगे.!!
जब लोग किसी की तरक्की नहीं रोक पाते.. तो वह उसकी छवि बिगाड़ने लगते हैं.!!



