सुविचार 4298

ज़िन्दगी का दूसरा नाम मुश्किलात है

_ हर इंसान किसी न किसी मुश्किलात में मुब्तिला है
_ बस किसी को कम है तो किसी को ज्यादा
_ हर इंसान को लगता है कि उससे ज्यादा मुश्किल में कोई नहीं
_ लेकिन कोई यह नहीं जान पाता कि
_ सामने वाला इंसान कितनी मुश्किल में है
_ लेकिन हम तय जरूर कर लेते हैं बाहरी आवरण से कि
_ इसके पास तो सब कुछ है, अच्छे कपड़े पहनता है,
_ अपना घर है, हमेशा मुस्कुराता भी रहता है
_ फिर इसे क्या दिक्कत होगी
_ अक्सर जो इंसान अपनी परेशानियां बता देता है
_ वही सबसे मासूम व मजलूम दिखता है
_ लेकिन बेश्तर लोग अपनी परेशानियों को साझा नहीं करते
_ क्योंकि वो समझते हैं कि ये ज़िन्दगी का हिस्सा है
_ आज है लेकिन जरूरी तो नहीं कि कल भी है
_ मतलब कि ज़िन्दगी को जीना सीख लिया है
_ कुछ लोग अपनी ज़िंदगी को खुद ही इतना जटिल बना लेते है
_ कि वो उसी में घिरते चले जाते हैं
_ कोई उस जगह से निकालने का प्रयास भी करता है तो
_ उसे भी किनारे लगा लेते हैं
_ इसलिए अपनी मुश्किलों को ज़िन्दगी की नियति न मानिए
_ बल्कि अपनी ज़िंदगी का हिस्सा मानकर जीने की कोशिश करें
_ लोगों से भागना व ज़िन्दगी को खत्म करने की कोशिश करना
_ असल में हमारी कमजोरियों को दर्शाता है
_ इंसान अपनी इच्छाशक्ति व आत्मबल से
_कोई भी मुश्किल से पार पा सकता है
_ हमारी ज़िंदगी में बागों के मानिंद कई फूल जुड़े होते हैं
_ हर किसी की रंगत व खूबियां भिन्न होती है
_ लेकिन ये सभी हमारी ज़िंदगी महकाते जरूर है
_ एक फूल के मुरझा जाने से हम पूरे बाग को नहीं छोड़ देते
_बल्कि ये प्रयास करते हैं कि दूसरे फूल खिलते रहें
_ बस यही ज़िन्दगी है….
– Nida Rahman

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