सुविचार 4375

आधुनिकता के इस युग मे इंसान के स्वयं के विचार समाप्त होते जा रहे हैं,

_ यहां तक कि दो लोगो के बीच होने वाली वार्ता भी किसी ना किसी वीडियो से या कहीं से पढ़कर प्राप्त की हुई जानकारी ही होती है,
_ आधुनिकता ने इस दुनिया को कितना नीरस बना दिया.!!
हम वो लोग बन गए हैं जो खुद को नकार कर आगे बढ़ जाते हैं,

_ ऐसा लगता है कि हम ठहर गए हैं और सड़ रहे हैं आहिस्ता-आहिस्ता रुके पानी की तरह.!

Submit a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected