हम सदा कारण से प्रसन्न होते हैं, अकारण प्रसन्नता का नाम मस्ती है.
जो अपना मूल्य जानते हैं, वो दूसरों से अपनी तुलना नहीं करते हैं.!!
प्रसन्न वो हैं जो…अपना मूल्यांकन करते हैं..
_ परेशान वो हैं जो…दूसरों का मूल्यांकन करते हैं…!!
स्वयं प्रसन्न रहना और दूसरों को प्रसन्न करना, जीवन का सबसे सुन्दर लक्ष्य है.
भय, लालच, क्रोध, कड़वाहट, जैसे नकारात्मक भाव प्रसन्नता का भाव कम कर देते हैं.!!