सुविचार 4597

न तो पूर्ण स्वतंत्र इच्छा होती है न ही पूर्ण भाग्य होता है,

_ जीवन इन दो सख्त नज़रियों के बीच कहीं जिया जाता है.

मेहनत- श्रम करें, कौशल-योग्यता हासिल करें और फिर कुछ भाग्य पर छोड़ दें.!!

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