जीवन में सब को सब कुछ नहीं मिलता. हमारे वश में क्या है और क्या नहीं है, यह ध्यान रख कर सभी को सम्पूर्णता की तलाश करनी चाहिए. वैसे सम्पूर्णता की मंजिल संतुष्टि है, जो अपने को व्यक्तिगत गुणों से पूर्ण बनाने में मिलती है.
जीवन जीना भी एक नजरिए की बात है. अगर हम इस वास्तविकता को स्वीकार कर लें कि जीवन में सब को सब कुछ नहीं मिलता, तो हमारी कुंठा ऐसे ही काफी कम हो जाएगी. सब कुछ मिल जाना भी इस बात की गारण्टी नहीं कि जीवन में ख़ुशियाँ लहलहा उठेंगी एवं सभी मुश्किलों का अन्त हो जाएगा. एक उम्मीद पूरी होने के बाद दूसरी उम्मीद जगती है और जीवन में कब कैसे मोड़ आएँगे, इस के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता. आज जो व्यक्ति काफी खुश है, कल उस के जीवन में दुःख की बदली छा सकती है.
सोच में बदलाव लाकर जीवन को कुंठा और निराशा रहित बनाना सम्भव है.
जो लोग अपने हालात को लेकर दुःखी या असंतुष्ट रहते हैं, उन में से ज्यादातर ने इस यथार्थ को नजरअंदाज किया होता है कि जीवन की सभी स्थितियों या घटनाओं पर हमारा नियन्त्रण नहीं होता. कुछ ही चीजें ऐसी हैं जिन्हे हम बदल सकते हैं या अपने हिसाब से ढाल सकते हैं, सभी नहीं.
ऐसी बातों को लेकर परेशान होना, जिन में हमारा कोई दखल न हो, बुद्धिमानी नहीं कही जाएगी.
कुछ लोग व्यक्ति की कामयाबी को उस के रूप रंग और व्यक्ति के बाहरी शारीरिक आकर्षण से जोड़ कर देखते हैं, अगर यह धारणा सही होती तो सफलता के शिखर पर पहुँचे सभी लोग आकर्षक रूप रंग के स्वामी हुआ करते.
सच तो यह है कि इनसान अपने कर्मों एवं कोशिशों से आगे बढ़ता है.