अपने दुखों का कारण कभी- कभी इनसान खुद भी होता है. इनसान को यह सच सदा गाँठ बाँध कर चलना चाहिए कि कोई भी कभी भी सब को खुश नहीं कर सकता. आप जितना भी कर लो, कोई न कोई कोना छूट ही जाएगा.
जीवन में बस आधा अपना है, जो हमारे वश में है. बाकी का आधा हमें नहीं पता.
यदि कोई अप्रसन्न है तो वह उसी का दोष है, क्योंकि प्रकृत्ति ने सभी को प्रसन्न बनाया है.