नदी के दोनों किनारे उसकी दो सीमा रेखाएं हैं, जब नदी उसके बीच में होकर बहती है तब उसका सौन्दर्य है और किनारे तोड़ कर नदी बाहर आ जाए तो विनाश की स्थिति उत्पन्न कर देगी. यह जीवन तभी आनन्दित हो सकता है, उन्नति का कारण बन सकता है, यश का कारण बन सकता है, जहां मर्यादाओं के बीच में जीवन बहता हो. किनारा तोड़ कर बाहर आओगे तब सम्मान के हकदार नहीं रह पाओगे.