इन्सान में अगर बुराईयाँ है, तो अच्छाईयां भी है. सवाल यह है कि किसका चुनाव क्या है ?
_ वह अपने भीतर के श्रेस्ठतर को बाहर निकालना चाहता है या निम्नतर की व्याख्या में ही सीमित रहना चाहता है.
अच्छे और बुरे का चुनाव करने का अधिकार हमें कहां प्राप्त है ??
_ हमें तो उन्हें चुनना है जो कम बुरा है.!!