हमेशा यह मान कर चलिए कि आप को कोई भी वस्तु पूर्णतया इच्छित रूप से नहीं मिलेगी. हर काम आप की इच्छानुसार नहीं हो सकता है.
इच्छित वस्तु पाने की कोई गारंटी नहीं होती, सम्भावना होती है.
_ यह सम्भावना ही हमें कर्म के लिए प्रेरित करती है.!!
_ यह सम्भावना ही हमें कर्म के लिए प्रेरित करती है.!!





