प्रेम, दया, वात्सल्य, परोपकार, अहिंसा, हंसना, रोना,मानवता आदि गुण मानवता के अलंकार माने जाते हैं, किन्तु आज मानव अपनी संवेदनाएं भूल रहा है. वह न दूसरों के दुख में रोता है, न सुख में हंसता है और न ही अपनी भावनाएं जाहिर करता है.
आपाधापी के इस दौर में सिर्फ कमाने एवं दूसरों से आगे निकलने की होड़ में ही न लगे रहें. हम मानव हैं और हमारे पास एक प्यारा सा मन है, उस का भी ध्यान रखें, ताकि मानवता बची रहे.