हमें एक बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए कि सुख और दुख सिर्फ आदतें हैं. दुखी रहने की आदत तो हमने डाल रखी है, सुखी रहने की आदत भी डाल सकते हैं. इसे स्वभाव बनाइए और आदत में शामिल कर लीजिए. यह गलत सोच है कि इतना धन, पद या प्रतिष्ठा मिल जाए तो आनंदित हो जाएंगे. दरअसल, यह एक शर्त है.
जिसने भी अपने आनंद पर शर्त लगाई वह आज तक आनंदित नहीं हो सका. अगर आपने बेशर्त आनंदित जीवन जीने का अभ्यास शुरू कर दिया तो ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां आपकी ओर आकर्षित होने लगेंगी.