सुविचार 989

मनुष्य का जीवन एक नदी की तरह है, जिसमे सुख- दुःख, मान- अपमान, समृद्धि- निर्धनता आदि दोनों किनारों के बीच ज़िन्दगी की धारा बहती है.

 

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