हमारी इच्छाएँ हमेशा अधिक होती हैं, और जीवन हमें सीमित समय के लिए मिला है.
_ शायद यही वजह है कि ज़्यादातर इच्छाएँ अधूरी रह जाती हैं.
_ हम जीने से ज़्यादा समय किसी चीज़ की चाहत में समय व्यतीत कर देते हैं.
_ हर इच्छा पूरी होने पर, एक नई इच्छा जन्म लेती है, और यह चक्र अंतहीन हो जाता है.
_ मन कभी संतुष्ट नहीं होता क्योंकि जो चाहा उसे पाने के बाद भी खालीपन वैसा ही रहता है.
_ शायद जीवन का असली अर्थ इच्छाओं की पूर्ति में नहीं, बल्कि उस क्षण में है जब हम इच्छा करना भूल जाते हैं.!!