छूट जाना एक जगह का और छूट जाना पुरखों का घर..
_ और एक जगह का छूटना सिर्फ़ जगह का छूटना नहीं होता..
_ जगह के साथ छूट जाते हैं कुछ दोस्त, परिचित चेहरे और उनकी आँखों की चमक, छूट जाते हैं पड़ोसी और उनकी बातचीत..
_ छूट जाता है छत से दिखता पीपल का पेड़..
_तीन चिड़ियाएँ रह जाती हैं उस पेड़ पर..
_ छूट जाती है एक पुरानी ईंट की दीवार..
_ और उस पर लगी भूरी पड़ गई काई..
_ चिट्ठियों के लिए पुराना पड़ जाता है एक पता..
_ बदल जाता है सूर्योदय का कोण..
_ छूट जाता है वहां का आकाश..
_ छूट जाता है पीछे चलता -चलता एक दोस्त.. हो उठता है भावुक..
_ आँखें पीछा करती हैं दूर तक..
_और अश्वगति से पीछे छूटता जाता है..
_ जाना पहचाना रास्ता, जगह और मकान..!!