हर इनसान में कुछ बहुत अच्छी, कुछ अच्छी और कुछ कम अच्छी बातें हुआ करती हैं, पर इनसान को चाहिए कि वह अपनी कम अच्छी बातों को नियंत्रित कर इन्हे कम करे और अपनी अधिक अच्छी बातों को और विकसित कर अपना व्यक्तित्व निखारे, न कि अपने व्यक्तित्व की कमियों के लिए स्वयं को दोष देता रहे.