उड़ चल रे मन, कर ले उन सपनों को पूरा
बुने थे जो तूने कभी.
मत देख आसमां को, बंद कमरे की खिड़की से.
चल, बाहर निकल और देख खुले आसमां को,
तोड़ दे सीमाओं की जंजीरों को,
चल निकल, कर ले कुछ स्वप्न तो पूरे.
न लड़ इच्छाओं से, बस लड़ ले बाधाओं से.
आगे बढ़, बढ़ता चल, बढ़ता चल.
उनको आज़ाद कराना मुश्किल है,
_ जो अपनी जंजीरों की इज़्ज़त करते हैं.