माना कि आदमी को हँसाता है आदमी;
इतना नहीं कि जितना रुलाता है आदमी;
माना गले से सब को लगाता है आदमी;
दिल में किसी-किसी को बिठाता है आदमी;
सुख में लिहाफ़ ओढ़ के सोता है चैन से;
दुख में हमेशा शोर मचाता है आदमी;
हर आदमी की ज़ात अजीब-ओ- गरीब है;
कब आदमी को दोस्तो! भाता है आदमी;
दुनिया से ख़ाली हाथ कभी लौटता नहीं;
कुछ राज़ अपने साथ ले जाता है आदमी………!!!!