मस्त विचार 1200

माना कि आदमी को हँसाता है आदमी;

इतना नहीं कि जितना रुलाता है आदमी;

माना गले से सब को लगाता है आदमी;

दिल में किसी-किसी को बिठाता है आदमी;

सुख में लिहाफ़ ओढ़ के सोता है चैन से;

दुख में हमेशा शोर मचाता है आदमी;

हर आदमी की ज़ात अजीब-ओ- गरीब है;

कब आदमी को दोस्तो! भाता है आदमी;

दुनिया से ख़ाली हाथ कभी लौटता नहीं;

कुछ राज़ अपने साथ ले जाता है आदमी………!!!!

Submit a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected