सुविचार – वादा, वादे, वादें – 116

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कुछ लोग आदतन हर बात में वादा कर लेते हैं _और पूरा करने के वक्त भूल जाते हैं

_या गायब हो जाते हैं..
_उन्हें नहीं पता होता कि _उनके वादे की डोर पकड़कर _यदि कोई कुछ करना चाहेगा तो
_उसका क्या हाल होगा..
_ऐसे लोगों की हां से ज़्यादा ज़रूरी है _उनका ना करना..
_ख़ासकर जरूरतमंद लोगों से कोई वादा सोच समझकर ही करना चाहिए..
झूठे वादे किसी का दिल तोड़ सकते हैं, उसकी उम्मीदें और हिम्मत छीन सकते हैं.
_ इसलिए किसी को वादा करने से पहले अच्छी तरह सोचें कि आप उसे निभा भी पाएंगे या नहीं.!!
जितनी जल्दी हो सके समझ लें कि हर कोई आपको देर-सबेर छोड़ देगा,
_ भले ही उन्होंने हमेशा आपके साथ रहने का वादा किया हो..!!
कोई वादा तभी करें, जब आप उसे निभाने का इरादा रखते हों.!!
कोशिशें मायने रखती हैं, क्योंकि वादे तो अक्सर टूट जाते हैं.!!
छोटी छोटी बातों की, बड़ी बड़ी सी यादें हैं,,
_ निभाते हैं वो भी शिद्दत से, जो करते नहीं कोई वादें हैं !!
बड़े वादों से बेहतर है, एक छोटा सा साथ,

_ दूरियां तो उनमें भी हैं. जिनका हाथों में हाथ है.!!

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