कोई अच्छे और बुरे की बात प्रकृति में नहीं है, क्योंकि वहां विकल्प नहीं है, वहां चुनाव ही नहीं है.
_ और उतनी शक्ति ध्यान में लगाई जा सकेगी, अन्यथा हम एग्झास्ट हो जाते हैं !!
गीत गाता और नाचता दिखाई देगा !
जब दूसरे हमें खुश दिखाई पड़ते हैं तो हम और दुःखी होते चले जाते हैं.
सिर्फ यह देखो कि तुम्हें क्या अच्छा लगता है.
तुम चाहे पहाड़ पर रहो या बाज़ार में कोई अंतर नहीं पड़ता
तुम्हारे पास ‘ध्यान’ हो तो कोई गाली तुम्हे छूती
नहीं, ना अपमान, ना सम्मान ना यश, ना अपयश
कुछ भी नहीं छूता अंगारा नदी में फेंक कर देखो जब
तक नदी को नहीं छुआ तभी तक अंगारा है, नदी को
छूते ही बुझ जाता है तुम्हारे ध्यान की नदी में सब
गालियाँ, अपमान, छूते ही मिट जाते हैं…तुम दूर अछूते
खड़े रह जाते हो में इसी को परम स्वतंत्रता कहता हूँ,
जब बाहर की कोई वस्तु, व्यक्ति, क्रिया तुम्हारे
भीतर की शान्ति और शून्य को डिगाने में अक्षम हो
जाती है तब जीवन एक आनंद है.
लड़ो सुंदर के लिए और तुम सुंदर हो जाओगे,
लड़ो सत्य के लिए और तुम सत्य हो जाओगे,
लड़ो श्रेष्ठ के लिए तुम श्रेष्ठ हो जाओगे.