युवा होने का कोई सम्बन्ध उम्र से नहीं है, युवा होना चित्त की अवस्था है. जो युवा देश और समाज की गली सड़ी व्यवस्था का, झूठी धार्मिक मान्यताओं का, पाखंडों का, रूढियों का, अन्धविश्वास का, धार्मिक व सामाजिक बुराइयों का विरोध नहीं करता, वो युवा होकर भी युवा नहीं है, वो तो बुढ़े से भी गया गुजरा है, उससे देश और समाज का कोई भला नहीं हो सकता. युवा वो है जो देश और समाज की इन गली सड़ी व्यवस्थाओं का विरोध करे, इनके विरुद्ध आवाज बुलंद करे. देश और समाज को नयी दिशा दे, दुनिया के साथ अपने देश और समाज को प्रतिस्पर्धा में शामिल करें, चुनौतियों का सामना करे.