रख लो आईने हज़ार तसल्ली के लिए,, पर सच के लिए आंखें मिलानी पड़ेंगी..
जरूरतों को देखने के लिए अपनी आँखों का उपयोग करें, और उन्हें पूरा करने के लिए अपनी प्रतिभा का उपयोग करें.
Use your eyes to see the needs, and use your talents to meet them.
“दो दिखने वाली आँखों के अलावा भी _ कुदरत ने इंसान को कई आँखें दी है,
_ जरूरत इतनी ही है कि उनको खुला रखा जाये”
सबके पास समान आंखें हैं, लेकिन सब के पास समान दृष्टिकोण नहीं..
_ बस यही बात इंसान को इंसान से अलग करती है.!!
जीवन में जब सब अच्छा ही अच्छा होता है तो हम अंधे बन जाते हैं,
_ उस वक़्त क्या ज़्यादा ज़रूरी है, वो साफ़- साफ़ नज़र नहीं आता.!!
कुछ ऐसा ख़ुद को बना लिया मैंने..
_ आँखों के आंसुओं को होठो की हँसी में छुपा लिया..!!
जिसने दूसरों की आँखें नम की हैं, उसके हिस्से में भी कभी ना कभी वही दर्द आता है, यही कर्म का फ़ैसला होता है.!!
तर्क किए बिना किसी बात को आँखें मूंद कर मान लेना भी एक प्रकार की गुलामी है.
जीवन उसका ही सुधरेगा, जो आँख बंद होने से पहले आँख खोल लेगा.
आपकी आँखें जो देखती हैं, वह हरदम सच नहीं हो सकता.
फेर लेते हैं सब के सब नज़रें, आप जब काम के नहीं रहते.!!
वो नज़रें सलामत रहे, जिन्हें हम अच्छे नहीं लगते..!!
चेहरे पढ़ने वाला नहीं, आँखें पढ़ने वाला ढूंढो.!!