सुमिरन करो जी सुमिरन…
ना घटने का डर, ना लुटने का डर, ना जरूरत वारीस की, ना तालों की.
नींद आती है सकुन की हर रोज ..यही है सच्ची दौलत बिन दौलत वालों की.
ना घटने का डर, ना लुटने का डर, ना जरूरत वारीस की, ना तालों की.
नींद आती है सकुन की हर रोज ..यही है सच्ची दौलत बिन दौलत वालों की.