सामान्यतया आदमी का स्वभाव इतना लचीला नहीं हो पाता, क्योंकि अपने आप को दूसरे की जगह रखकर किसी चीज को देखने की कला, हमें कभी नहीं सिखाई गयी.
क्या है की हम आज तक लेने का ही सुख जान पाएं हैं, खाने का ही सुख महसूस कर पाये हैं; लेकिन इतना जानिये की लेने से ज्यादा देने में आनंद है.