।। तेरे मेरे बोल ।।
इसकी बक उसके पास,
उसकी बक इसके पास,
उलझे कान, बिगडे बोल,
बोल तो संभल कर बोल,
बोल पे ही रिश्ते टिके हैं,
बोल से ही हंसती है दोस्ती,
बोल बोल को टटोल ले,
फिर चाहे जो है मन में,
सब खुल के बोल,
बोलने की भाषा, तुझे मिली है,
बोल बोल गीत बन जाये,
बस तू ऐसी भाषा बोल,
बोलने के दिन हैं दो चार,
छोड़ दे ये रस्साकस्सी,
न हो अपनों से अपनों की दूरी,
सबको अपना मान ले,
रिश्तो में फिर जीवन डा ल दे,
बोल में मिश्री घोल ले,
कल तू चला जाएगा,बस,
रह जायेंगे जग में तेरे बोल,
मांना कोई तुझसे रूठा है,
तू भी किसी से हठ कर बैठा है,
रूठे को मना ले, हठ छोड़
सबको गले लगा ले,
बस यही है जीवन का मोल
तेरे मेरे सबके बोल ।।।।।।।।।।।।
पी के