वो रोज़ बात करता है मगर कुछ बोलता नहीं है
चौखट पर बैठा है मगर द्वार खोलता नहीं है,
नाराज़ है किसी से या है इंतज़ार में किसी के,
क्यों खामोशियों को अपनी वो तोड़ता नहीं है,
कौन से वादे ने उसका किया है ऐसा हाल,
बुराई तो करता है उसकी मगर कोसता नहीं है.