सुविचार 2255

स्वाभिमान इतना भी मत बढ़ाना कि अभिमान बढ़ जाए,

_ और अभिमान इतना भी कम मत करना कि स्वाभिमान मिट जाए.

अभिमान और स्वाभिमान में बहुत स्पष्ट किंतु बारीक अंतर होता है..

_ अक्सर लोग अभिमान को स्वाभिमान से रिप्लेस कर देते हैं,
_ जबकि अभिमान सस्ता है और आत्म-सम्मान महंगा है,
_ लोग अभिमान अफोर्ड कर लेते हैं ..पर स्वाभिमान नहीं..
_ होता यह है कि ..लोग उन लोगों के सामने अभिमान दिखाते हैं ..जो उनसे कमज़ोर हैं..
_और जो उनसे ताकतवर हैं ..उनके सामने अपना स्वाभिमान ताक पर रख देते हैं.

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