सुविचार – इच्छा, इच्छाएँ, अभिलाषा, अभिलाषाएं – 134

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हमारी इच्छाएँ-अभिलाषाएं अधिक हैं, और जीवन एक सीमित समय के लिए मिला है, जिसके तहत इच्छाएँ अधूरी रह जाती हैं,

_ वैसे भी हम अपने जीवन का अधिकांश समय इच्छा-अभिलाषा करने में ही व्यतीत कर देते है.!!

इच्छाएं हमें जितना उत्साहित करती हैं कई बार उतनी ही निराश भी, जिनकी इच्छाएं समय के साथ पूरी होती हैं.. वह एक नई इच्छा को जन्म देते हैं, और जिनकी इच्छा पूरी नहीं होती..

_ वे तारीख बदल देते हैं या फिर मन मारकर अपनी इच्छा को ही ख़त्म कर देते हैं…!

इच्छाओं के पूरी न होने पर दुःख महसूस करने वाले लोग कुछ कुछ ऐसे हैं,

जैसे मृत शरीर के क़रीब बैठकर रोने वाले लोग,
_ मृत व्यक्ति के अचानक उठ जाने पर जिस तरह लोग गिरते पड़ते भागेंगे,
इच्छाओं के पूरी होते ही लोग इच्छाओं से ऊबकर भागते हैं.!!
इंसान की अभिलाषाएँ असीमित होती हैं, जबकि जीवन का समय सीमित है..

_ यही कारण है कि अधिकांश अभिलाषाएँ अधूरी रह जाती हैं..
_ जीवन के अधिकतम क्षण इंसान इच्छाएँ पालने और उन्हें पूरा करने की कोशिश में बीत जाते हैं, पर अंततः बहुत-सी इच्छाएँ अधूरी ही छूट जाती हैं..!
इच्छाएं… यही तो हैं.. जो हमें जगाए रखती हैं, आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं..

_ जब ये पूरी होती हैं तो हम खुशी से झूम उठते हैं और एक नई इच्छा को जन्म देते हैं,
_ लेकिन क्या हो जब इच्छाएं पूरी न हों ?​
_ यहीं से शुरू होता है निराशा का खेल..
_ हम या तो उनकी तारीखें बदल देते हैं, यह सोचकर कि शायद अगली बार सब ठीक होगा,
_ या फिर मन मारकर अपनी इच्छाओं को ही ख़त्म कर देते हैं.!!

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