ये भी अजीब मनोविज्ञान है के तकलीफों की भी आदमी को लत लग जाती है,
और तकलीफ ना हो तो, घबराहट शुरू हो जाती है.
कुछ लोग तकलीफें बनी रहे, इसका नियमित आयोजन करते हैं.
कुछ तकलीफें हमारे साथ जुड़े लोगों कि _पहचान करवाने आती हैं !
और तकलीफ ना हो तो, घबराहट शुरू हो जाती है.