अपने को कैसे संभालें ? – 2019

एक बार फिर से हो सकता है कि आपने कुछ गलत निर्णय लिए हों, लेकिन आपने बहुत सारे सही निर्णय भी लिए हैं ; आप अपने अतीत की तुलना में बेहतर हैं और आपका भविष्य उज्जवल और उज्जवल हो रहा है ; अपने आप को सफल के रूप में देखें _ क्योंकि आप जिस पर अपना ध्यान केंद्रित करते हैं वह वास्तविकता बन जाएगी.

Once again you may have made some wrong decisions, but you’ve made a whole lot of right decisions, too. You’re better off than you were in your past and your future is getting brighter and brighter. See yourself as successful because what you set your focus on will become reality.

“कटुता, निराशा, ईर्ष्या, नीचता, एक कमजोर मन के परिणाम हैं जो दुनिया की वास्तविकताओं का सामना करने में असमर्थ है और सब कुछ बना-बनाया चाहता है ; _

इन बेकार चीजों के बारे में चिंता मत करो ; _ उठो और स्वयं को ढालने के काम में लग जाओ ;

_परिणाम मास्टर के हाथों में हैं” – चारीजी

“Bitterness, disappointment, jealousy, meanness are reasults of a weak mind unable to face the realities of the world and wants everything ready-made. Don’t worry about these useless things. Be up and about the job of moulding the self. The reasults are in master’s hands.”- chariji

यदि आप खुश रहना चाहते हैं और अपने रिश्तों का आनंद लेना चाहते हैं, तो यह सीखना महत्वपूर्ण है कि मतभेदों की सराहना कैसे करें और अपने जीवन में लोगों से सीखें ; हमारा काम लोगों को ठीक करना नहीं है ; _ हमारा काम लोगों से प्यार करना है.

If you’re going to be happy and enjoy your relationships, it’s important to learn how to appreciate the differences and learn from the people in your life. Our assignment is not to fix people. Our assignment is to love people.

इतने व्यस्त लोग, कहाँ जा रहे हैं ? वे जहां भी जा रहे हैं वहां पहुंचने के बाद वे क्या करेंगे ? वे सभी अपने जीवन के प्रत्येक दिन गाड़ी चला रहे होंगे.

लेकिन क्या वे कहीं पहुंच रहे हैं या वे सिर्फ एक निश्चित धुरी पर चक्कर लगा रहे हैं ?

बच्चे सुबह-सुबह स्कूल भाग रहे हैं, माता-पिता उनके पीछे-पीछे भाग रहे हैं ताकि बच्चे समय पर अपनी बसें पकड़ लें ताकि वे समय से ऑफिस- दुकान जा सकें.

स्कुल के छात्र कौशल, तरकीबें और “ज्ञान” हासिल करने के लिए एक कक्षा से दूसरी कक्षा में भाग रहे हैं ताकि वे अच्छा पैसा कमा सकें ; _ वे सोच रहे हैं कि पैसा होने के बाद जीवन शानदार होगा ; _सब भाग रहे हैं और कोई कहीं नहीं पहुंच रहा है.

_ वास्तव में, भ्रम से भरा जीवन जीने से मानवता केवल अपना मूल्य खो रही है..!!

हम सभी खुशी से जीना चाहते हैं और यहां हम खुशी हासिल करने के लिए सबसे ज्यादा क्या करते हैं; सामान खरीद रहे हैं ; _ हम कार, घर, और बहुत सारे गैजेट्स और अन्य सामान खरीदते हैं और उम्मीद करते हैं कि हम इन भौतिक संपत्ति से खुश होंगे.

हम इस मूलभूत बिंदु को भूल जाते हैं कि जीवन में सबसे महत्वपूर्ण चीजें वास्तव में चीजें नहीं हैं.

आप लोग इस बारे में क्या सोचते हैं ?

मानव मस्तिष्क जटिल बनाने के अलावा और कुछ नहीं सोचता.

_ जैसे ही एक समस्या का समाधान हो जाता है, वह समाधान नई जटिलताएँ, अन्य समस्याएँ प्रस्तुत करता है ..जो शायद पहले मौजूद नहीं थीं..!!

कई बार लाइफ में कुछ ऐसे मोमेंट्स भी आते है जिन्हें मैं जीना चाहता हूं

कुछ ऐसे लोग मिलते हैं जिन्हें मैं अपना लेना चाहता हूँ

कुछ ऐसी चीजें मिलती हैं जिन्हें मैं पा लेना चाहता हूँ

लेकिन ये सारी चीजें, पल, लोग मेरे लिये उस खूबसूरत दृश्य की तरह हैं, जो ट्रेन की खिड़कियों से दिखते जरूर हैं _ जिन्हें देखकर मन में एक काश होता जरूर है, लेकिन आप ट्रेन से उतरकर उनके करीब जाकर नहीं देख सकते _ क्योंकि ऐसा करने से फिर ट्रेन छूट जाएगी,

_ छूट जाएगी आपकी सारी प्राथमिकताएं, रिस्पांसिबिलिटीस…और बहुत कुछ…

_ लाइफ की रफ्तार से अपोजिट जाना कितना मुश्किल है

कितना मुश्किल है ट्रेन से उतरकर दृश्यों को देखना, उन्हें जी लेना…कितना मुश्किल !!

मैं अक्सर उन्हीं लोगों को ज़्यादा परेशान देखता हूँ, जो अपने जीवन में छोटी- छोटी बातों का बुरा मान कर बैठ जाते हैं,

_ किसी ने उनका अपमान कर दिया ये तो समझ आता है _ लेकिन अपने किसी ने उनकी प्रशंसा नहीं कि वो इस बात का भी बुरा मान लेते हैं,_

_ और जब वो छोटी- छोटी बातों को अपने भीतर एक कचरे की तरह इकट्ठा करते चले जाते हैं _

_ फिर वही कचरे की सड़न उनकी सोच और उनके चेहरे पर दिखाई देने लगती है.

आप कम बुरे को मत चुनिए, कम बुरा का मतलब है कि अधिक दिनों तक बुराई को ढोना है ; रोज- रोज के थोड़े दुःख से एक दिन का ज्यादा दुख अच्छा है.

_ बहुत बुरा को जितना नुकसान पहुंचाना होगा, एक बार में पहुंचा देगा,

_ कम बुरा तिल- तिल कर, सड़ा- सड़ा कर यातना देता है..!!

मनुष्य अपनी एक पहचान चाहता हैं, धन चाहता है, बेहतर स्वास्थ्य चाहता है, सुखी परिवार चाहता है, मस्ती का जीवन जीना चाहता है.

जीवन में सब पसंद का नहीं होता, सारी उम्मीदें भी पूरी नहीं होती, कुछ कसक सबके मन में रह जाती हैं ; _ये कसक यदि किसी ने अपने दिल में ले ली तो उसका दुखी होना तय है.

_इसलिए इन सब बातों को ध्यान में रख कर जीवन को मस्त बनायें.

आने वाले समय में हम भी वही बनेंगे, वही करेंगे जो सामने वाला हमसे करवाना चाहता है, जो वो हमें बनाना चाहता है…

_ लेकिन एक बात ऐसी भी है _ जो हम नही समझ पा रहे हैं कि _ उन जैसा होने में एक नुकसान भी है कि _ अब हमारे हिस्से भी उनके जैसा _ वही दुख, वही तकलीफ, वही दर्द आएँगे, और हमारा अहंकार हमारी सबसे बड़ी हार को भी _ हमें हमारी जीत ही दिखलाता है…
_ यह बात समझने में थोड़ा नहीं, एक लंबा वक्त लगेगा ; _ इतना लंबा की जहां से वापिस लौट पाना लगभग मुश्किल है,
_ आख़िर यही तो वो वजह है _ जिसकी वजह से लोग चाहकर भी खुद को नही बदल पाते हैं,
_ वरना इस दुनिया में ऐसा कौन है _ जो एक सुकून भरी जिंदगी नही चाहता, _ जिसे अपनों से प्यार नही है, बस ये आदतें ही तो हैं _ जो हमें इस दुनिया से किसी और दुनिया में ले जाती हैं…
जीवन में आपके द्वारा सामना किए जाने वाले सबसे कठिन निर्णयों में से एक यह चुनना है कि _उस चीज से दूर जाना है या कठिन प्रयास करना है.
जो लोग संघर्ष से गुजरे हुए होते हैं तो _ उनकी मेंटलिटी कुछ अलग ही होती है,

_ वहीं दूसरी तरफ जिनको बना बनाया सब मिला है, _ वो उतने समझदार या सहनशील नहीं हो पाते..!!

कोई धन, पद, प्रतिष्ठा में हमसे बड़ा हमसे जुड़ता है तो हम कल्पना में रहते हैं कि समय आने पर वो हमें सहयोग देगा ; _ लेकिन होता ये है कि वो पहले ही हमारा इस्तेमाल कर लेता है,

हमारा ही सब कुछ लपेट कर निकल लेता है और हम सिर्फ उसको देखते रह जाते हैं.

ज़िंदगी में कितने भी आगे निकल जाएं फिर भी सैकड़ों लोगों से पीछे रहेंगे..!!

ज़िंदगी में कितने भी पीछे रह जाएँ, फिर भी सैकड़ों लोगों से आगे होगें..!!

अपनी जगह का लुफ्त उठाएँ, आगे पीछे तो दुनिया में चलता रहेगा…

हमारे सारे फेल्योर, सारे गम और दुखों के दोषी हम अकेले खुद नहीं होते,

_बल्कि सारा सामाजिक ताना बाना और परिस्थितियां होती हैं !!
_ ” इसलिए कभी भी अपराध बोध में न रहें, जब आप अकेले ज़िम्मेदार न हों !!
So never be in guilt, when you alone are not responsible.”
लोग जीवन में अपनी परिस्थितियों के आधार पर और उस समय उनके पास जो संसाधन उपलब्ध होते हैं _ के आधार पर निर्णय लेते हैं.!!
एक स्वतंत्र विचारक बनें और जो कुछ भी आप सुनते हैं उसे सत्य के रूप में स्वीकार न करें,_

_ आलोचनात्मक बनें और मूल्यांकन करें कि आप किस पर विश्वास करते हैं…

हर किसी को मेरा एक जैसा संस्करण नहीं मिलता ; _ एक व्यक्ति आपको बता सकता है कि मैं एक अद्भुत सुंदर आत्मा हूं.

_ दूसरा व्यक्ति कहेगा कि मैं एक निर्दयी मूर्ख हूं; _उन दोनों पर विश्वास करें, मैं तदनुसार कार्य करता हूं.

Not everyone gets the same version of me. One person might tell you I’m an amazing beautiful soul. Another person will say I’m a cold hearted asshole Believe them both, I act Accordingly.

यह कभी न भूलें कि किसने आपकी मदद की जबकि बाकी सब बहाने बना रहे थे.

Never forget who helped you out while everyone else was making excuses.

कम उम्र में मिला हुआ सुख इंसान को कभी समझदार नहीं बनने देता.!!

और कम उम्र में मिला हुआ दुःख इंसान को समझदारी का उस्ताद बना देता है..!!

ज़िंदगी गुज़ारने का यह ढंग ज़्यादातर लोग अपनाया करते हैं,

पहले ज़िंदगी को खुद ही उलझाते हैं, फिर खुद की ही पीठ थपथपाते हैं, _ सुलझाते हुए..

ज़िंदगी में कुछ सीखो या ना सीखो, मग़र लोगों को पहचानना ज़रूर सीखो ;

_क्योंकि लोग जैसे दिखते हैं, वो वैसे होते नहीं हैं !!

जो कल हो चुका है उससे सीखो … आगे बढ़ें इसे दोहराएं मत ;

_ जहां से गुजर गए हो,,, वहां से गुजर ही जाओ … उसे पकड़ कर मत रखो..

— ” रुकिए, संभलिए फिर चलिए जनाब _ कब तक कहेंगे ” ज़माना है ही खराब “

खुद को सँभालने की जिमेदारी भी अब तुम्हारी है मित्र, हौंसला रख,

दुनियां बस मजे लेती है सहयोग नहीं करती.

“– हममें इतनी ताक़त हमेशा होनी चाहिए कि अपने दुःख, अपने संघर्षों से अकेले जूझ सकें !!–“

“–दुख की बात है कि कुछ लोग आपका महत्व_केवल आपको खोकर ही जान सकेंगे..!!–“

यदि आप एक सुखी जीवन जीना चाहते हैं, तो इसे एक लक्ष्य से बांधें, लोगों या चीजों से नहीं.

If you want to live a happy life, tie it to a goal, not to people or things.

जिनकी जड़ें मज़बूत होती हैं _वो वृक्ष ऊपर से काट दिये जाने के बाद भी दोबारा पनप जाते हैं..

_इसलिए इंसान को बाहरी उन्नति के साथ भीतरी प्रगति भी करनी चाहिए..!!

हम अक्सर अपने आस-पास के लोगों को पहचानने में धोखा खा जाते हैं.

_ रस्सी को सांप और सांप को रस्सी समझ लेते हैं.

आज समस्या यह है कि लोग अच्छे लोगों को महत्व नहीं देते,

_ वे उनका उपयोग करने का प्रयास करते हैं..!

खुद को खोजिए _ नहीं तो _ आपको दूसरे लोगों की

राय पर _ निर्भर रहना पड़ेगा. _ जो खुद़ को नहीं जानते..

किसी ऐसे व्यक्ति को, जिसने आपके जूते नहीं पहने हैं,

_ आपको यह न बताने दें कि आपको फीते कैसे बाँधने हैं..!!

सिर्फ उतना ही विनम्र बनो जितना जरुरी हो..

बेवजह विनम्रता दूसरों के अहम को बढ़ावा देती है..!!

सच बोलने वाले कम ही रहे हैं _ समस्या ये है कि _

_ सिर्फ मर्ज़ी का सच सुनने वालों की तादाद बढ़ गयी है..

जो लोग भविष्य में आने वाले संकटों की तैयारी पहले से नहीं करते ;

समझ लो _ वो लोग अपने लिए और संकट खड़े कर रहे हैं..

चिंता और तनाव में इंसान तभी होता है,_

_ जब वो खुद के लिए कम और दूसरों के लिए ज्यादा जीता है.

चिंता करके अपनी ऊर्जा को खत्म करने से अच्छा है,_

_ समस्या का समाधान करके _ ” चिंता को समाप्त करना “

जो आप की भावनाओं को समझ कर भी आप को तकलीफ देता हो, _

_ वो कभी भी आप का अपना नहीं हो सकता !!

लोगों को वह करने दें _जो वे करना चाहते हैं, ताकि आप देख सकें कि _उन्होंने क्या किया था.

जो आपके सभी प्रश्नों का उत्तर होगा..!!

अपने व्यक्तिगत जीवन की बातें किसी को न बताये, लोग सिर्फ मजे लेने के लिए सुनते हैं..!!!!
रोना मत कभी यार, तुम इस दुनिया के सामने…_ ये हँसाते नहीं हैं, पर हँसते बहुत हैं..।
जब भी दुनिया और लोगों के असली होने पर भरोसा जगने लगता है,

_ तभी इनकी असलियत सामने आ जाती है…

एक बार जब आप अकेले _अपने सबसे बुरे समय से गुज़रते हैं तो _आपको वास्तव में परवाह नहीं होती है कि _अब आपके जीवन में कौन रहता है..!!
दुख-मुसीबत, बिमारी-शिमारी, ये सब जीवन के साथ लगे रहते हैं.

_सबसे बड़ी बदनसीबी यह है कि दुख में आप किसी को पुकारें और कोई ‘हाँ’ कहने वाला न हो..!!
जो सच में बुद्धिमान है, वह दूसरों को विवाद करके हराने में उत्सुक नहीं होता,

जो बुद्धिहीन है, वह किसी को भी हराने में उत्सुक होता है.

किसी भी समस्या को इतना गंभीर न बनायें कि आप का जीवन उस समस्या के इर्द – गिर्द रह जाये..
” जो लोग कम जानते हैं वे आमतौर पर महान बात करने वाले होते हैं,_

_ जबकि जो लोग ज्यादा जानते हैं वे कम बोलते हैं “

अपने आप को नकारात्मक लोगों के साथ घेरना बंद करें, हम लोगों को नहीं बदल सकते हैं _

_ लेकिन हम उन लोगों को बदल सकते हैं _ जिनसे हम खुद को घेरते हैं.

मेरे अपने दिल दुखाते रहे हैं, ग़ैर हरदम फ़िक्र जताते रहे हैं _

_ मेरे अपने मुझे परेशानियों में देख कर हँसते रहे हैं, _

_ वो तो ग़ैर हैं जो मेरी मदद कर, दिल मेरा जीत जाते रहे हैं !!

छोटी- छोटी लहरों की तरह समझते हैं मेरे अपने लोग मुझे, _

_ उन्हें क्या मालूम शांत समंदर सा गहरा होता जा रहा हूँ मैं ..

किसी का बुरा कर देने क बाद _फिर उस से यह अपेछा करना कि _वह पहले जैसा हो जाये ;

_ इस बात का क्या मतलब है..??

जिस पर गुजरती है _वही जानता है,

_बहुत आसान होता है _ये कह देना कि..

..जाने दो ..जो हुआ.. सो हुआ..!!

हर मीठा बोलने वाला, अपनत्व दिखाने वाला इस काबिल नहीं होता कि उसके आगे दिल के फफोले खोले जाएं.

_ वह फफोलों पर मरहम लगाने की बजाय उनमें पिन भी चुभो सकता है.

_ योग्य व्यक्ति की पहचान करना कोई आसान काम नहीं है.

नकारात्मक लोगों से बचें, ये लोग आपके दिमाग की असली पॉवर को आपको महसूस ही नहीं होने देंगे !
ऐसे लोगो से सदैव दूर रहें _ जो आपके साथ भी रहता हो और आपके दुश्मनों के साथ भी….!!!
कोशिश करें कि आप एक हफ्ते, एक महीने, एक साल _ किसी के बारे में नेगेटिव ना बोलें ;

और देखें _ आपका जीवन दूसरों से सौ गुना जल्दी बदलता है ” आप ज्यादा स्मार्ट और ज्यादा बुद्धिमान हो जायेंगे “

बुद्धिमान व्यक्ति का मन चालाकी से नहीं जीता जा सकता,

सिर्फ सच्चाई और ईमानदारी से जीता जा सकता है.

जब कोई बोलना छोड़ कर ..सिर्फ सुनने लग जाए,

_ तो समझ लेना ..आप ने खो दिया है उस इंसान को !!

अपनी खुशियाँ संभाल के रखिये, ये उस कांच के सामान होती हैं _ जो लोगों को _ चुभती बहुत हैं.
आपके कथित चाहने वाले ही _ आपकी सफलता से _ सबसे ज्यादा जलते हैं..
असल में साथ था ही नही कोई _ बेकार में गुमान होता था अपनो पर..!!

_ सब अपने हैं, _ यही तो झूठे सपने हैं !!

लोगों के लिए आप तब तक अच्छे हो _ जब तक आप उनकी उम्मीदों को पूरा करते हो,

और आपके लिए उस समय तक सभी लोग अच्छे हैं _ जब तक आप उनसे कोई उम्मीद न रखो..

मदद करने की सबसे बड़ी बुराई ये है कि फिर ये हमेशा करनी होती है,

जब भी बंद करो _ उसी दिन _ पिछली सारी अच्छाइयां _ बुराई में बदल जाती है..

“जो दूसरों पर आश्रित होते हैं _ वो हमेशा ही पराजित होते हैं “
तुममें और मुझमें बस इतना सा ही फर्क है, तुमने वो कमाया जिसे दिखाया जा सकता है,

मैंने वो कमाया जिसे दिखाया नहीं जा सकता, मेहनत दोनों में ही है.

जब हम किसी समस्या पर बहुत ज्यादा सोचने लगते हैं तो उसे और उलझा देते हैं.

सोचना जरुरी है, लेकिन बहुत ज्यादा सोचने से बचना चाहिए.

हमारा जीवन उस दिन से समाप्त होना शुरू हो जाता है,

जिस दिन हम उन मुद्दों पर चुप्पी साध लेते हैं _ जो मायने रखते हैं.

हमारे जीवन की सबसे बड़ी समस्या अपने और अपने परिवार के जीवनयापन की ही होती है ;

बाकी सब तो खड़ा किया गया समस्याओं का पहाड़ है _

अपने मन को दुविधा जनक स्थिति में नहीं पहुँचने देना ही, जीवन की कामयाबी की दास्ताँ है.

दुनिया मेँ रहते हुए दुनिया से अलग रहने की कला सीखेँ, _

_ कमल के फूल और हर भूल से सीखेँ.

जीवन में हर तूफान नुकसान करने ही नहीं आता,

कुछ तूफान _ रास्ता साफ करने भी आते हैं..

” सलाह, साथ और समय ” यह बिना मांगे देने पर अक्सर लोग इनका मूल्य _ सस्ता ही लगा लेते हैं.
अगर कोई आपको अपनी तकलीफ बताये तो उससे अच्छे से पेश आओ,

क्यूंकि आप सिर्फ सुन रहे हो और वो महसूस कर रहा है..

“कोई साथ दे ना दे, तू चलना सीख ले;

हर आग से हो जा वाकिफ तू जलना सीख ले;

कोई रोक नहीं पायेगा बढ़ने से तुझे मंज़िल की तरफ;

हर मुश्किल का सामना करना तू सीख ले “

परेशाँ होने वाले तो राहत पा भी लेते हैं,

परेशाँ करने वालों की मगर परेशानी नही जाती..!!

किसी को छमा कर देने पर भी _ उसके व्यवहार में बदलाव न आना _

_ आपको मिलने वाले एक और धोखे का प्रमुख संदेश है..

इन्सान सख़्त मिज़ाज कब बनता है ?

जब बहुत सारे लोग उसकी नरमी का ग़लत फ़ायदा उठा चुके होते हैं.

“सबब मेरे रोने का हर कोई पूछता है , मैं कैसे सारी दुनियां को राजदां कर लूं ?”
लोगों ने….. आपके साथ छल किया, और उन्हीं कष्टों ने आपको बदल दिया..
‘दुनिया में जितनी अच्छी बातें व संदेश हैं, वे दिये जा चुके हैं, अब नया कुछ कहने व देने को बाकी नहीं रहा है. अब जरुरत है, तो केवल उस पर अमल करने की.’

“All the good thoughts and advice has already been given out in the world and there is nothing really new to say. Now the only thing we need to do is to “FOLLOW” it. ”

मुझे अब बहुत ज्ञान नही चाहिए, _ जो मिल गया है उस पे चलने का अभ्यास चाहिए !!

I don’t need much knowledge now,, I need practice to walk on what I have got.

” खाली बैठे रहना फायदेमंद हो सकता है ” :->

_ हमारी ऐसी मान्यता हो गई है, की कुछ ना कुछ करते रहना चाहिए,

_ खाली बैठे रहने से अच्छा है, की कुछ पैसे कमा लो, किसी की सेवा कर लो, या कुछ पढ़ लो,

_ पर किसी भी काम के बगैर खाली बैठे रहने पर हमारा मन शांत होता है.

पता नहीं मैं अपनी ज़िंदगी में _ जीतूँगा या हारूँगा, _ पर मेरी ज़िंदगी की कहानी के _

किसी भी पन्ने पे, _ ये नहीं लिखा होगा कि, _ ” मैंने कभी भी हार मानी ”

Happiness को बाहर ढूढेंगे तो ना जाने कितना समय लग जायेगा खुशियाँ हासिल करने में,

इसे अपने अन्दर तलाशिये, जब खुशियाँ अन्दर से बाहर आएँगी तो स्थायी होंगी.

मैं अपनी मानसिक शांति को पुनः प्राप्त करना चाहता हूँ… मैं फिर से अपनी पुरानी जिंदगी में वापस जाना चाहता हूँ जहाँ खुशियाँ थी, धैर्य था, मस्ती थी, नादानी थी…जिंदगी की कोई खोज ख़बर नहीं थी बस अपने और दोस्तों में मौज थी…अब कहाँ मैं खुद की खोज और जिंदगी की तलाश में भटक गया…!!
दूसरो की फिक्र लेने से कुछ नही होगा, दूसरो की चिंता लेने की आवश्यकता नही है, कि वे क्या कहते है, फिक्र ही लेनी है, तो बस स्वयं की, किसी और की नहीं। दूसरे तो हर काम मे बाधा बनेंगे, उन्हें क्या पता है कि मुझे क्या अच्छा लगता है, क्या मुझे सुन्दर लगता है, उन्हें क्या पता है कि मेरा आनन्द क्या है। जो मेरे लिए सुन्दर है, जो मेरी प्रसन्नता है, जो मेरी ख़ुशी है, जो मेरा आनन्द है, वही मेरे लिए सत्य है, इसके अतिरिक्त कोई सत्य नही। दूसरो के अपने अनुभव है, वे मेरे अनुभव नही हो सकते। मेरा अनुभव, मेरा अनुभव है, शुद्ध प्रमाणिक, वही मेरे लिए सत्य है। दूसरों की राय की फिक्र करी कि भटके।

जिसको भीतर का स्वाद आने लगा, और भीतर की गंध आने लगी, फिर बाहर के मूल्यो का कोई अर्थ नही रह जाता।
व्यक्ति अपने आनन्द मे जीता है, व्यक्ति जीवन के महोत्सव मे जीता है। फिर बाहर के लोग क्या कहते हैं ? कौन फिक्र करता है।अच्छा कहे तो अच्छा, बुरा कहे तो अच्छा। सम्मान दे तो ठीक, अपमान दे तो ठीक।

आनन्द, न धन में है, न बडे मकान में है, न बड़ी बड़ी कारों में है, न उच्चे पदों में है, जब तक आदमी नशे में है, बेहोश है, तब तक किसी भी चीज़ से आनन्द उपलब्ध नहीं हो सकता । ध्यानी व्यक्ति ही, यानी होशपूर्ण जागृत व्यक्ति ही आनन्दित हो सकता है, ध्यानी व्यक्ति को ही धन में, बड़े मकान में या कारों में, पदों में आनन्द आता है, जो ध्यानी नहीं, उसे कभी आनन्द उपलब्ध नहीं हो सकता, उसे पूरे विश्व की सत्ता भी मिल जाए तो भी उसे आनन्द उपलब्ध नहीं हो सकता है । आनन्द तो अन्तस की स्थिति पर निर्भर करता है, अन्तस शान्त है तो आनन्द ।- ओशो

शुभचिंतकों को मेरे नाकाम होने, फ़क़ीर हो जाने का डर है. आगे का मालूम नहीं फिलहाल कुछ ना होने और चिंता मुक्त जीवन का आनंद ले रहा हूं.

अंजाम जो भी हो उसका ज़िम्मेदार सिर्फ और सिर्फ मैं होऊँगा, ये एहसास ही मुझे आज़ादी की अनुभूति करवाता है…

मुझमें इतनी हिम्मत नहीं कि किसी में कमियां निकालूँ,

_किसी को बुरा भला कहूँ, या किसी के लिए गए फैसले को सही या गलत कहूँ.
_मुझ में इतना हौसला भी नहीं कि _मैं किसी के जीने के तरीके पर सवालिया निशान लगाऊँ.
— मुझमें ख़ुद हजार खामियां हैं, अनगिनत गलत फैसले लिए हैं और वो सब मुझे याद दिलाते हैं कि मेरी हद क्या है..
_आईना बेहतरीन सच दिखाता है, दिल उससे भी सही जवाब देता है.
_किसी को नीचा दिखाने से पहले, उसे ट्रॉल करने से पहले, मज़ाक़ बनाने से पहले अपने आप से सवाल करिए.
_अच्छा होने का दिखावा करके आप वाह-वाही ले सकते हैं, _लेकिन ख़ुद को क्या जवाब देंगे.
_हालांकि ये बातेँ उनके लिए मायने रखती हैं, जिनका, zameer हो, जिनके आंख में पानी हो.
_नफ़रत, जलन [ jealousy] सबसे बड़ा नुकसान हमारा ख़ुद का करती है.
_खुश रहिए, दूसरों के लिए दुआ करिए सुकून में रहेंगे.
अब मैं उन लोगों को क्या कहूं ..जिन्हें ये तक नहीं पता कि उनकी खुद की जिंदगी कैसी है,

_ अब वो मेरी जिंदगी को बनाने और बिगाड़ने में बड़ी भूमिका निभाना चाहते हैं.
_ खैर !…कोई हर्ज नहीं एक असफल प्रयास आप भी कर लो,
_ ताकि आपको भी पता चल सके कि आपका स्थान कितना है और कहां है…!
_ और फिर वही सवाल कि ..जाने क्यों लोग एक दूसरे के व्यक्तिगत जीवन में हस्तक्षेप किया करते हैं..!!
हमारे जीवन में संघर्ष निरंतर चलता रहता है, एक संघर्ष खत्म तो दूसरा शुरू हो जाता है…

थक कर नहीं बैठा जा सकता… अनवरत चलना पड़ता है…फिर चाहे कुछ भी आए सामने…

एक संघर्ष ऐसा भी है जो व्यर्थ ही चलता है बस मानसिक है…वो है घर और रिश्तों से…

_ आपने नौकरी छोड़ कुछ अलग करना शुरू नहीं किया की लोग नाराज ही हो जाते हैं…_

_ अरे भाई जो कर रहे हैं कर लेंगे और नहीं कर पाए तो कुछ और कर लेंगे…माथा काहे पीटना…भूखे नहीं मरेंगे…

_ कुंठित रहकर पैसे कमाते रहने से अच्छा है कि जीवन में कुछ भूचाल ही आता रहे…

_ इससे जिंदा रहने का एहसास तो बना रहेगा…नहीं तो मौत आ ही चुकी होती है…बस शरीर जिंदा रहता है…

मरहम के लालच में अपनी दुखती रग का पता लोगों को देना…….बेवकूफ़ी की आखिरी हद है..
मुझे आपके साथ संघर्ष करने में कोई आपत्ति नहीं है _लेकिन मैं आपकी वजह से संघर्ष करने से इनकार करता हूं !!
अगर सभी लोग एक ही इंसान के खिलाफ हैं तो समझ जाना चाहिए, वो इंसान बहुत काम का है.
तैरने के लिए नदी का गहरा होना भी जरुरी है,

जिससे बात करो उसका, कुछ तल होना भी जरुरी है,

हम समय बर्बाद नहीं करते, हर एक से बात नहीं करते,

कुछ तो दम हो कहने वाले में, सब से संवाद नहीं करते..

एक बार वर्तमान में जीने की कला तो सीखो; भूत, भविष्य, जीवन से चिंता, दुःख, तनाव सब गायब हो जाएंगे,

आप ऐसे आनंद में डूब जाएंगे जो अनमोल है, यही जीवन का परम सुख है..

मैं जानता हूँ कि ये बनावटी खुशियां, त्योहार खुद को बहलाने का क्षणिक तरीका है, _

_ हमेशा के लिए खुश केवल कर्म मे मन लगाकर ही रहा जा सकता है..

मैंने जीवन में कुछ गलतियाँ की है जिनमे से है –

1. नकारात्मक व्यक्तियों पर अत्यधिक वक्त न्योछावर करना.

2. गलत लोगों के बीच रहक़र उन्हें खुश रखना.

3. प्रमुख कार्यो को छोड़ अनावश्यक कार्यो में संलग्न रहना.

हमें यहाँ हर तरह के लोग मिलते हैं ..लेकिन अगर पिछे मुड़कर देखो तो ..ज्यादातर अच्छे लोग ही मिले होंगें,

_तो क्या ज़िन्दगी में मिले हर अच्छे इंसान पर भारी हैं वो कुछ लोग जो अच्छे नहीं हैं, “बिल्कुल नहीं”
— गड़बड़ तभी होती है जब हम ऐसे व्यक्ति को अपनी प्राथमिकता बना लेते हैं, जिसके लिए हम मात्र विकल्प होते हैं।
_ धीरे-धीरे समझ में आ जाता है, कौन व्यक्ति हमें कितनी तवज्जो दे रहा है.
_ इसलिए हम उसी व्यक्ति को अपनी प्राथमिकता में रखें, जिसके लिए हम भी प्रथम हों !!
” अब बस उसे ही याद करता हूँ, जो मुझे याद करता है.”

मोह, दर्द, तकलीफ, उम्मीद, बेबसी, सम्मान, अपमान, प्यार, मोहब्बत, डर, मृत्यु, जीवन एवमं रिश्तों से ऊपर उठ चुका हूँ.

मुझे रत्ती भर परवाह नही की दुनिया मुझसे क्या उम्मीद करती है और मैं उसके उम्मीदों पर कितना खरा उतरता हूँ.

_ अनगिनत चाहने वालों से, ” एक निभाने वाला बेहतर होता है “

*– इंसान सहन भी तभी तक करता है _ जब तक सहन करने की छमता होती है ;

_ उसके बाद वो ना तो रिश्तों को जरुरी समझता है और ना ही अपनों को..–*

ना कभी किसी के रास्ते का पत्थर बना, ना कभी किसी का रास्ता रोका,

_ ना किसी के पीछे चला और ना किसी जाते को पुकारा,
_ अगर किसी इंसान की कमी जीवन में हुई तो ..उसको दूसरे से पूरी नहीं की, खैर !!…
_ उस कमी को ताउम्र रखूँगा ..हर इंसान की अलग जगह थी, है और रहेगी…!
_ ना किसी से मतलब ना किसी की चाहत, ज़िन्दगी अगर ऐसी हो तो बात ही क्या है…
मुझे जो कहना होता है, कह देता हूं जिसकी वजह से..लोग नाराज हो जाते हैं..
_ पर अच्छा ही है मक्खन लगाकर या काम के लिए लोगों का दिल रख लूं “ये भी तो सही नहीं है ना..”
जब से मैंने अपने जीवन में ‘नो फर्स्ट कॉल’ की नीति अपनाई है, तब से मैं बहुत खुश रहने लगा हूँ.

_ पहले मैं किसी सगे संबंधियों से मिलने के लिए भी वक्त की भिक्षा माँगता था.

_ परन्तु अब न उनका कॉल आता है न मैं करता हूँ, अब रोक लिया खुद को कॉल और मैसेज करने से,

_कुछ वो भूल गए, कुछ मैं भूल गया..

_ अब समझ आता है कि उन्हें कोई जरूरत नहीं थी मेरी, मैं ही उनके पीछे था.

_ मुझे अपने बारे में एक बात से नफरत है कि _मैं उन लोगों पर बहुत अधिक समय बर्बाद करता हूं _जो मेरे सेकंड के लायक नहीं हैं.

_लेकिन जल्द ही, मैं अपनी उस आदत को बदलने जा रहा हूं,

_और फिर मैं खुद को बर्बाद करने के लिए जिम्मेदार नहीं रहूंगा.

बुरा वक्त आना चाहिए, क्योंकि हमारे आसपास की भीड़ छंट जाती है.

_ बुरा वक्त आना चहिए, क्योंकि हमारे भरम टूट जाने चाहिए.
_हम ऐसे भरम में जीते हैं ..और ऐसे लोगों से मोहब्बत करते हैं ..जो सिर्फ़ अपने मतलब से हमारे साथ हैं..
..तो अच्छा है कि बुरा वक्त आए ..और वो चले जाएं.
_बुरा वक्त भी अच्छा होता है, ..वो हमारी नज़र पर से पड़े ..अपनों के जाले हटा देता है.
_बुरे वक्त की खासियत है, वो अपने साथ गंदगी बहाकर ले जाता है.
_मतलबी रिश्ते, मतलबी लोग, सब उसके जाने के साथ चले जाते हैं.
_तो बुरे वक्त में घबराइए मत, बुरा वक्त सबक होता है.
_बुरे वक्त में सबसे पहले ..वो मूंह मोड़ते हैं ..जिनसे हम समझते हैं कि हौसला मिलेगा.
_ “बुरा वक्त” उतना बुरा भी नहीं होता है ..वो अपने साथ रिश्तों का सच लेकर आता है.
न पूछा मैंने _ न उन्होंने ख़बर ली..

कुछ यूं _ अपनी जिम्मेदारियों में _ उलझे रहे हम…

मुश्किल और दुःख में फ़र्क करना सीखिए…

_ कुछ लोग रोने के इतने आदी होते हैं कि सिर्फ़ मुश्किलों को दुःख बताकर आँसू बहाने बैठ जाते हैं,

_ उन्हें ये समझाया जाना चाहिए कि रास्ते में पड़े भारी भरकम पत्थर को धक्का देकर हटाना मुश्किल मात्र है,

_ वो दुःख तब है जब धक्का देने के लिए तुम्हारे पास हाथ ही ना हो.

कई बार परिस्थितिओं को ये सोचकर accept कर लेना अच्छा होता है कि जो हो रहा है अच्छे के लिए हो रहा है,

अगर हम इस एक बात को दिल से accept कर लें तो, ज़िन्दगी के बहुत सारे तूफ़ान थम जायेंगे और धीरे-धीरे सबकुछ पटरी पर आने लगेगा.

हम जिंदगी में कड़े फैसले लेने में डरते हैं. हम ऐसा इसलिए नहीं करना चाहते हैं, क्योंकि हम दूसरों की नाराजगी मोल लेना नहीं चाहते हैं.

इस तरह के डर की वजह से निजी और प्रोफेशनल दोनों लाइफ प्रभावित हो सकती है. कड़े फैसले नहीं लेकर हम समस्याओं का समाधान नहीं करते हैं, उन्हें बढ़ाते हैं.

हमारी इस प्रवृत्ति से छोटी समस्या भी बड़ी हो सकती है. इसलिए जहां जरुरत हो, वहां हमें कड़े फैसले लेने से हिचकना नहीं चाहिए.

कोई चाहे आप पर जितना भी दबाव क्यों न बनाएं, पर निर्णय हमेशा खुद का लो ;

क्योंकि कल कुछ गलत होता है तो जान लो, वही लोग ये जिम्मेवारी नहीं लेंगे आप की ;

आप की अहित का कारण वो लोग हैं, वो अपना पल्ला झाड़ेंगे और बोलेंगे

उस वक़्त तुम ने क्यों नहीं विरोध किया.

यदि कोई आपसे भावनात्मक चोचले करके अपनी बेतुकी या गलत बात मनवाने की कोशिश करे तो उसकी बात कभी न मानें ;

क्योंकि ऐसे लोग आपको अपना गुलाम बनाना चाहते हैं _ और इनकी बातों में आकर इमोशनली ब्लैकमेल हो कर आपके द्वारा लिया गया निर्णय _

आगे चल कर _  आपको बरबाद कर सकता है.

लोगो की जिंदगी में जबरदस्ती घुस जाने से क्या होगा.? और मिलेगा क्या.?

सिवाय तिरस्कार, आत्मग्लानि एवंम नजरअंदाजी के…

कभी कभी हम किसी के बारे में अत्यधिक सोच लेते हैं और बाद में मिलता है

हमे अनोखा दर्द एवंम बेपनाह बुरा तजुर्बा….

” आप सही रहे ” उसके बाद भी लोग आपको न समझ पाएं, तो उनके लिए रोने की कोई जरुरत नहीं,

ऐसे लोगों से कहो – पतली गली पकड़ और निकल ; कोई जरुरत नहीं अब तेरी.

” अपने आप को दुःख देना बंद करो “

अगर आप खुद को दुखी करना चाहते हैं, तो आपको अंतहीन मौके मिलेंगे,

क्योंकि हमेशा कोई न कोई कुछ ऐसा करेगा, जो आपको पसंद नहीं आएगा..

किसको किसको समझाते फिरोगे, सोचने दो जिसे जो सोचना है ;

लोग उतना ही सोचेंगे, जितना उनका मानसिक विस्तार है !!

किसी के लिए एकबार खुलकर रो लो, और आगे बढ़ जाओ,

_ यूं बार बार रोने वालों को ये दुनिया नौटंकी समझ लेती है !

किसी पर ज्यादा नाराज होने से बेहतर है,

की अपने जीवन में उसकी अहमियत को कम कर दो..

कोई मेरा दिल दुखाता है तो मैं चुप रहना ही पसंद करता हूँ,

_ क्योंकि मेरे जवाब से बेहतर वक़्त का जवाब होता है..

मरहम के लालच में अपनी दुखती रग का पता_

_ लोगों को दे देना _ बेवकूफ़ी की आख़री हद है !

हमारी बुज़दिली मशहूर है जमाने मेँ,_ कि

_ हम बदला नहीं लेते, खुदा पे छोड़ देते हैं !!

अपनों के लिए उतना ही करो, जितना उनके द्वारा आपके लिए किया जाता है..

_उतना ही करवाओ, जितना आप अपनों का कर सकते हो..!!

जिंदगी भी उसका भरपूर साथ देती है जो अपने विचारों को दूषित नहीं होने देता

और संघर्ष के दम पर दुनिया जीत लेता है.

जितने राजदार कम बनाओगे, उतने ही धोखे कम खाओगे,

क्योंकि हमारी कमजोरियां ही दुश्मनों को ताकतवर बनाती हैं..

जब कोई करीबी इंसान अपनी औकात दिखा जाता है न, तो मुझे दुख नही होता

बल्कि खुशी होती है कि, चलो अच्छा हुआ ” छुटकारा मिला “

कुछ रिश्तों का टूटना ही बेहतर था, छूटने वाले का छूटना ही बेहतर था.

एक ही बात उसको कब तक समझाते, रुठने वाले का रूठना ही बेहतर था.

फिक्र है सबको खुद को सही साबित करने की,

जैसे ये जिन्दगी, जिन्दगी नहीं, कोई इल्जाम है..

एक हद के बाद इंसान, सब कुछ छोड़ देता है ;

शिकायत करना, मिन्नते करना, मनाना और फिर दिल ऐसा हो जाता है,

कि कोई बात करें तो ठीक, कि ना करें तो भी ठीक ;

क्योंकि पता लग चुका होता है, कि दुनिया बहुत झूठी और मतलबी है.

हम जितना दुःख के बारे में सोचते हैं, लिखते हैं..उतनी ही मानसिक बेचैनी और अस्थिरता महसूस करते हैं.

_ अब इसीलिए मैं अब खुशियाँ चुनता हूँ.

_ हर छोटी-छोटी चीजों में सकारात्मक कोण ढूँढता हूँ..

..मुझे अब दुःख से लगाव नहीं रहा _क्योंकि दुःख समय द्वारा रचित क्षणिक परीक्षा है ..जो हमे देनी होती है !

सहारे इंसान को खोखला कर देते हैं और उम्मीदें कमज़ोर कर देती हैं, अपनी ताकत के बल पर जीना शुरू कीजिए, आपका खुद से अच्छा साथी और हमदर्द कोई ओर नहीं हो सकता..!!

— ” आप अपना ख़्याल ख़ूब ख़ूब रखना….क्योंकि आप ने अपना ख़्याल नहीं रखा तो आप का ख़्याल रखने कोई नहीं आएगा.!! —“

“–मेरे अपने मुझे मिट्टी में मिलाने आए, तब कहीं मेरे होश ठिकाने आए.!!–“

यहाँ बहुत कुछ देना पड़ता है, मुट्ठी भर लोगों को अपना बनाने के लिए..

_ समय, भावनाएँ, नींद, सोच, इच्छाएँ व कभी-कभी अपनी खुशियां भी..

_ ताने उलाहने अलग से इन सब के साथ जबरन चले आते हैं..

_ चार सदस्यों के परिवार को सहेज के रखने में ही हालत खराब हो जाती है..!!

ज़िन्दगी ऐसे ही बीत जाती है लोगों को पहचानने में,

_ फिर अफ़सोस होता है कि ऐसे लोगों को अपना समझ रहे थे,

_ बस इमोशनल होने के कारण उनकी गुस्ताखियां सह रहे थे,

_ लेकिन सच बहुत सकून मिलता है उनसे नाता तोड़ कर..

मन को खुश करने के लिए जीने वाले लोग, जानवर से भी गए गुजरे होते हैं. _ ये लोग

अपने मन के गुलाम बने रहते हैं और मन, इनकी ज़िन्दगी बरबाद करता चला जाता है..

कभी कभी लाख कोशिशों के बाद भी कुछ ना मिले या लाख जतन से सहेजते संभालते भी कुछ छिन जाए,_

_ तो जीवन कुछ समय के लिए थोड़ा कम सुंदर ज़रूर हो सकता है, __ ” किंतु यह कुरूप कभी नहीं होता “

मन को कंट्रोल करने के लिए सिर्फ ये देखो कि आप कुछ गलत तो नहीं कर रहे,

गलत है तो मत करो और सही है तो मन भर के करो.

जितना आदर्शवादी और संस्कारी होकर अपने रिश्ते में हम प्यार करते हैं और सबको खुश रखना चाहते हैं उतना ही दुख मिलता है और कोई भी दिल की फीलिंग्स को नहीं समझता है. फिर एक तरफा त्याग क्यों करते रहना ??

“जिंदगी अपनी भी होती है और अपनी खुशी को भी जीना चाहिए जैसे भी”, बाकी कोई अपना नहीं होता है चाहे जितना करो.

आपका जीवन आपका अपना है, दूसरे लोग आपसे जो होने की उम्मीद करते हैं, वह बनने की कोशिश में इसे बर्बाद न करें;

हर किसी को खुश करने के लिए अपनी खुशियों का त्याग न करें, जो आप बनना चाहते हो वो बनो..

जिन लोगों को वे आपसे बेहतर समझते थे, उनसे निराश होने के बाद लोग आपके जीवन में वापस आएंगे.

People will come back in your life after they get disappointed by people they thought were better than you.

लेकिन, उन्हें वापस स्वीकार करने में मेरे लिए बहुत देर हो जाएगी, क्योंकि मैं पहले ही अपने जीवन में आगे बढ़ चुका हूं.

But ,it will be too late for me fo accept them back , because I have already moved on with my life.

अगर किसी से आपको तकलीफ है या कोई कष्ट है, कोई आपको प्रेम नहीं कर रहा है तो इतनी भर बात को इतना बड़ा मत बनाओ कि आप अपने ही शरीर और मन को ख़राब करने लग जाओ.

जब हमारा मन दुःखी होगा, तब हमारे शरीर में विषैले तत्व पैदा होते हैं और ये विषैले तत्व हमारे शरीर को मारते हैं.

ज़िन्दगी में हर समस्या का निदान आगे बढ़ने में है.

यदि आप बैठ कर सोचेंगे कि आखिर यह मेरे साथ ही क्यों हुआ,

तो आप और अपने जीवन को स्वयं बर्बाद कर रहे हैं.

हमारी सबसे बड़ी कमजोरी हार मान लेना है,

सफल होने का सबसे निश्चित तरीका है _ एक बार और प्रयास करना..

जब तक आपका सामना आपकी सबसे बड़ी कमजोरी से नहीं हो जाता,

तब तक आपको अपनी सबसे बड़ी ताकत के बारे में पता नहीं चलता..

जिंदगी में कभी कभी ऐसा भी मोड़ आ जाता है, कि हम खुद के बिछाए हुए जाल में खुद ही फंस जाते हैं !

और लाख कोशिशों के बाद भी नहीं निकल पाते !!

किसी सही इंसान के साथ इतना भी ग़लत मत करना कि उसके साथ किए धोखे का पछतावा सारी ज़िन्दगी करना पड़े.
उम्र को दराज में रख दें, उम्रदराज न बनें..

एक दिन शिकायत तुम्हे वक़्त और जमाने से नहीं ….खुद से होगी,

कि ज़िंदगी सामने थी और तुम दुनिया में उलझे रहे…!!!

मैं इस बात पर विश्वास करता हूँ कि चढ़ाई चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हो,

_ आगे के रास्ते को रोशन करने के लिए, रोशनी के एक टुकड़े को अंदर आने का रास्ता हमेशा मौजूद होता है.

जीवन भर लोगों ने मुझे सदैव विकल्प बना कर ही अपने जीवन मे शामिल किया है..

_ जब मन किया मुझे याद किया..मन किया मुझे दरकिनार कर दिया…अब बस हुआ..कब तक दूसरों के मनानुसार चलूंगा..

..अब मैं अलगाव का दर्द सह लूँगा…अकेला रह लूँगा..

_ परन्तु ये ढोंगी लोगों से दूर रहना ही पसन्द करूँगा..!!!

कम से कम मेरे पास ये सुविधा बची रहनी चाहिए कि..

..अगर मैं उदास हूँ तो ..उदास रहने दो.
_ लेकिन लोग चाहते हैं कि ..मैं उदासी में भी जबरन मुस्कराऊं.
_कभी कभी इंसान को संभलने के लिए छोड़ देना चाहिए.
_कोई ख़ामोश है तो ..उसे ख़ामोश रहने का हक बचा रहे.
_इसका मतलब ये नहीं कि ..आप उसकी परवाह न करें..
_ये भी आपके परवाह का हिस्सा ही होगा कि ..आप उससे उसका स्पेस न छीनें ..!!
कठिनाई से प्राप्त होने वाली चीजों का मूल्य एवम महत्व अधिक होता है… इसीलिए जीवन मे भी कठिन बनिए…

_ लोग आपकी सराहना करेंगे…आसानी से उपलब्ध होने पर ही लोग आपको तुच्छ समझ लेते हैं….!!!

गुस्से में कभी भी अपनी जगह न छोड़ें, कोई न कोई आपकी कमी को पूरा कर ही देता है ;

_ फिर वापसी पर आपकी वो अहमियत नहीं रहती _ फिर चाहे वो मकान हो या किसी का मुकाम हो..

यश लूटने में एक बुराई भी है, अगर हम इसे अपने पास रखना चाहते हैं तो हमें अपनी जिन्दगी

लोगों को खुश करने में और यह जानने में बिता देनी होगी कि _ उन्हें क्या पसन्द है और क्या नहीं.

जो चीजें आपको तोड़ती है, कमजोर करती है… आपको जीवन मे आगे बढ़ने नही देती… उसका पीछा करना बंद करो…

वरना ये आपको जीवन मे कभी आगे बढ़ने नहीं देगी…

कई बार आप सही होते हैं, फिर भी लोग आपको सही नहीं समझते हैं.

उस वक्त सबसे जरुरी यह होता है कि आप सही रास्ते पर चलते रहें,

लोगों की गलतफहमियाँ वक्त के साथ खुद- ब – खुद दूर हो जाएँगी.

बहुत कोशिश करता हूँ अपनों को साथ लेकर चलूँ… बहुत हद तक सोचता हूँ ये अपने हैं… कहीं पीछे न छूट जाएं…परन्तु उल्टा वे मुझे ही डसने की कोशिश करते हैं। अब मैं केवल खुद के लिए जीता हूँ… मुझे अब किसी से वास्ता नहीं रखना…!! उन्हें मैं नहीं दिखता… मेरे उपकार नहीं दिखते… वक्त की नज़ाकत पर यक़ीन है मुझे… जब मेरे दिन लौटेंगे, तब सुख में भी मेरे साथ केवल मैं होऊंगा..!!!

” जब रिश्ते अपशब्दों का शोर मचाते हैं, बेहतर है,

कान ढ़क, गहरी चुप्पी ओढ़, दूर निकल लिया जाये…”

जिसने आपको रुलाया हो… आपको जीवन के सबसे न्यूनतम बिंदु पर ला दिया हो…जिसने आपके आँसुओ को महज़ पानी समझा हो…वे आपके अपने कदापि नहीं हो सकते…कभी नहीं…!!!

जब कोई आपका साथ न दे तो .. ख़ुद का साथी खुद बन जाओ..!!
यूँ तो जिंदगी में बहुत से साथ बने, चले भी, कुछ टूटे भी _किन्तु हर साथी कुछ न कुछ समझा गया ;

_इस यात्रा में मुझे जो समझ में आया वह सब गड्ड-मड्ड हो गया _क्योंकि समय बदलने के साथ जो मुझे गलत लगता था _वह सही लगने लगा और जिसे मैं सही मानता था _वह गलत सिद्ध हो गया.

_जैसे बचपन की सिखावन के हिसाब से संयुक्त परिवार की व्यवस्था मुझे सर्वोपयोगी लगती थी _लेकिन मेरे अनुभवों के अनुसार संयुक्त परिवार कर्तव्यनिष्ठ लोगों के लिए यातनागृह और गैरजिम्मेदार लोगों के लिए शानदार ‘हनीमून पैकेज’, यानी खाओ, पियो, ऐश करो और रुआब बताओ.

– लेखक : द्वारिका प्रसाद अग्रवाल

मेरे भीतर वो ताकत ही नहीं रही की मैं टूटते हुए रिश्तों को बचाने के लिए स्वयं को सर्वत्र झोंक दूँ … अब मुझे परवाह ही नहीं किसी की ,,_  इसे अहंकार कहो या जल्दी गिव अप कर देने की कमजोरी..

मगर इन सब में फँस कर मैं स्वयं को दुःख नहीं दे सकता ,,_ बहुत झेला हूँ यार,, _ अब और नहीं ..!!!

“- फरेब की दुनियां मे परायों के बीच अपनेपन के झूठे अभिनय से थककर वास्तविकता को महसूस करने वाला एक आदमी सा हूँ मैं,,,”

मैं दर्द में अकेले रहना ज्यादा पसन्द इसलिए करता हूं क्योंकि…मुझे पता है कि

मेरे पास दर्द का मजाक उड़ाने वालों की भीड़ है समझने वालों की नहीं.

जहां दूसरों को समझाना कठिन हो जाए, वहां स्वयं के मन को समझाकर भावनाओं को खुद तक सीमित कर लेना बुद्धिमानी है.

यदि आपको अपने जीवन में सुकून एवं शांति चाहिए तो लोगों से अपेक्षा कम से कम ही रखिए, और बहुत ज़रूरत पड़ने पर ही उन्हें याद करें..

हद से ज्यादा अपेक्षा और बेवजह की आशाएं आपको जाने-अनजाने में दुःख ही पहुँचाते हैं, इसलिए अपने हिस्से का कर्म करके भूल जाइए और खुश रहें..

जीवन आपकी भावनाओं और वास्तविकता के बीच एक समझौता है, _

_ जीवन के हर पड़ाव पर आपको अपनी भावनाओं को छोड़ना होगा और वास्तविकता को स्वीकार करना होगा..

जब हम अपने जीवन का लछ्य किसी दूसरे के प्रभाव में आ कर चुनते हैं तो,

_ उसी छण हम एक भीड़ का हिस्सा हो जाते हैं !!!!

रुकना है नहीं, _ कभी कुछ बदलने के लिए और कभी खुद को सुधार कर _

_ फिर कुछ करने के लिए..

जरूरी तो नहीं कि जिससे रोज मिल रहे हों, बातें हो रही हो उनसे ये अपेक्षा भी रखी जाए कि वे हमारा सम्मान करें, हमारे मुताबिक़ हर काम करें, हर कार्य मे मेरा साथ दें या हमारे हिसाब से खुद को बदल दे,

ऐसी उम्मीद रखना मूर्खता भरी होगी, क्योंकि उम्मीद टूटने के बाद दुःखी भी केवल हम ही होंगे !

कुछ वर्ष पूव मुझे लगता था कि जीवन में कोई तो बात करने वाला होना चाहिए…जिससे अपनी खुशी, कार्य, दुःख साझा कर सकूँ..परन्तु जैसे जैसे वक्त बीता, लोगों की फितरत बदली..अब ऐसा लगता है कि इस जीवन युद्ध में खुद ही..स्वयं को ही स्वयं का पूरक बनाना होगा..!!
घाव गहरा था बहुत, पर दीखता न था ; दिल भी बहुत दुखता था, पर कोई समझता न था ;

बाद में सब कहते तो हैं कि हमसे कह सकते थे ; पर जब- जब कहना चाहा था ” कोई सुनता न था “

*” मन भी जाने मुझे कितना भटकाता है, कभी तो लगता है किसी से इतनी बातें करूँ कि खुद को पूरा खाली कर दूँ, और कभी मन छुप जाना चाहता है दुनिया से,

_ ना कुछ करने का मन और ना किसी से बोलने का मन, घंटो सोचता ये मन कुछ नहीं सोचते हुए बस गुम होना चाहता है…”

मैंने विगत सालों में एक बात महसूस करी कि जो खुद पर बीतती है, वो दर्द सिर्फ आप महसूस कर सकते हो, इसीलिए मैं अपने इमोशन अथवा दुःख किसी से साझा नहीं करता. क्योंकि ऐसा करने के पश्चात् लोग हमें कमजोर समझ लेते हैं, बेफिजूल का ज्ञान देने लगते हैं, इधर उधर कह डालते हैं, मजाक भी बनाते हैं.. जोकि बाद में काफी आहत करता है, इसलिए अपनी व्यक्तिगत समस्याएं अपने पास ही रखना सबसे बेहतर है..!!!

इसलिए मेरा ऐसा मानना है कि कोई और नहीं सिर्फ आप ही खुद को मोटिवेट करके ऐसी सिचुएशन से बाहर निकालने में हेल्प कर सकते हैं, अच्छे मित्र बनाकर, उन से बात करके, उनके साथ टाइम एक्सपेंड करके, यकीन से नहीं कह सकता कि, ये बहुत आसान होगा, क्यूंकि आपका भरोसा सबसे उठ चुका होता है, तो एक बार फिर किसी पर भरोसा करना बहोत मुश्किल होता है, फिर भी कोशिश करनी चाहिए..

” कुछ भी इंपॉसिबल नहीं है “

ज़िन्दगी में अब तक के मिले अनुभवों के आधार पर मैंने समझा कि एक निश्चित वक्त तक ही हम किसी के लिए अच्छे या मनोरंजक इंसान होते हैं, उसके बाद हम उनकी ज़िन्दगी में गलत या बोरिंग पर्सन बनकर मात्र उनकी आवश्यकता के घटक बनकर रह जाते हैं, जिसे वह अपनी इच्छानुसार ही इस्तेमाल करते हैं.
एक उम्र आता है जब इंसान को सब चीजें एक सी लगती है सही गलत में द्वेष करना भूल जाता हैं, हॉ ठीक है कोई बात नही, छोड़ो जाने दो, जैसी बातों का आदती हो जाता है, निरंतर कुछ खोते जाना है फिर भी आगे बढ़ते रहना है, इस बात से भलीभांति परिचित हो जाता है….हँसकर बातों को टाल देने की आदत विकसित कर लेता है,

ऐसा लगता है जिंदगी का बहाव किसी शांत जलाशय की तरह अपने वेग में चलते जा रहा है, वही शून्यवस्था जिंदगी की परिपक्वता है जहां आप दूसरो से बेहतर नजरिये से जिंदगी को देखते है !!

स्वयं की तलाश में मैं जीवन के उस पड़ाव पर आ गया हूँ जहाँ अपना-पराया में कोई भेद नहीं दिखता …

सभी समान लगने लगे हैं…इन सब में अहमीयत्ता केवल स्वयं की रह जाती है.

मौन ताकत बन जाता है और रब सबसे अच्छा मित्र…!!

खुद के जीवन में परेशानियां कम हैं क्या..!

_ जो दूसरों की बातों को दिल से लगाकर बैठ जाऊं ..और सोचने लग जाऊं कि ..उसने मेरे साथ ऐसा क्यों किया, मेरे बारे में ऐसा क्यों कहा..
_ सच कहूं तो ..अब मैं इन सब चीजों से बहुत ऊपर उठ चुका हूं ..और इन सब टुच्ची चीजों पर रत्ती भर भी दिमाग नहीं लगाता हूं.
जैसे-जैसे हम उम्र की सीढ़ी चढ़ते हैं..तब हमें एहसास हो जाता है कि यह दुनिया इमोशन से नही परन्तु प्रैक्टिकल आधार पर चलती है। यहां इमोशनल होकर फैसले नही लिए जाते..ये जिंदगी व्यवहारिक एवम समायोजित होकर जीने के लिए ही मिला है… भावों के सागर में हम केवल अश्रु रूपी मोती ही पाते हैं।

यदि आप जीवन में किसी को खुद से भी अधिक महत्व देना शुरू कर दिए हैं… तो सम्भल जाईए क्योंकि बदले में दर्द, नाउम्मीदी एवमं निराशा के सिवा कुछ नहीं मिलने वाला और अवसाद के गिरफ्त में जाएंगे सो अलग….!!!

उम्र के उस पड़ाव पर हूं कि…अब किसी का साथ नहीं भाता, दरअसल जब कोई साथ होता है तो..जिंदगी बहुत आसान लगने लगती है और जब वो छोड़ जाते हैं. तो हम जीवन की सबसे निचली पायदान पे पहुंच जाते हैं, जहां सिवाय दर्द, बेबसी, अवसाद के कुछ नहीं मिलता,

इसलिए अब मैं एकांत से नाता जोड़ लिया हूं.

उम्र का एक स्टेशन पार कर जाने के बाद _आदमी बेहतरीन बनने की चाह त्याग देता है.. ;

उसे इस बनावटी दुनिया से अधिक मोह नहीं रह जाता, _ क्योंकि वह थक चुका होता है_

_ अतीत में निभाए गए कई रिश्तों से…और उनसे मिले निराशजनक परिणामों से _

_ इसलिए अब वह अपनी ही विचित्र सी धुन में मगन रहने लगता है.

कभी-कभी किसी का रवैया इतना बुरा लग जाता है कि हम उनसे दुबारा बात करना नहीं चाहते…

इसीलिए हम धीरे-धीरे उनके जीवन से निकल जाने का प्रयत्न करने लगते हैं.._ फिर उन्हें भनक लगे बिना स्वतः किनारे हो जाते हैं.

कोई आप को एक बार – दो बार दुःखी कर सकता है. इसके बाद भी यदि

वह इंसान आपको तकलीफ दे रहा है तो, गलती शायद आपकी है.

आप उसे मौका दे रहे हैं, आपको हर्ट करने का ” उस से दूर न हो कर “

“-जब रिश्ते रुलाने लगें _ तब इग्नोर करना सीखो _ जिंदगी आसान हो जाएगी “,,

अक्सर, हम जिन्हें अपना समझकर समर्पित रहते हैं ;

चालाकियां बताती हैं उनकी __ वे समर्पण के काबिल नहीं.

मैं हर पल अपने लोगों को _ खोने से डरता हूँ, लेकिन कभी कभी खुद से _

_ ये पूछ लेता हूँ कि _ कोई है तेरा _ जो तुझे खोने से डरता हो ?

ज़िन्दगी भर उन रिश्तों के, पीछे भागता रहा,_ जो कभी अपने थे ही नही,

जब होश आया तब देखा,_ जो रिश्ते सच मे अपने थे,_ उन्हें तो मैं_ संभाल पाया ही नही..

— हम ऐसे लोगों पर अधिक ध्यान देते हैं ” जो हमें नज़रअंदाज़ ” करते हैं,

और जो हम पर ध्यान देते हैं ” उन्हें हम नज़रअंदाज़ ” करते हैं..—

कोई भरोसा तोड़े तो _ उसका भी धन्यवाद करो _ क्योंकि

वो हमें सिखाते हैं कि _ भरोसा हमेशा _ सोच- समझ कर करना चाहिए..

कभी- कभी थोड़ी दूरी बनाने से लोगों को यह पहचानने में मदद मिलेगी,

कि आप वास्तव में उनके लिए कितना मायने रखते हैं..

ज़िन्दगी में कुछ सीखो या ना सीखो, मगर लोगों को पहचानना जरूर सीखो,

_ क्यूंकि लोग जो दिखते हैं वैसे होते नहीं !!

पहले दुःख भाँप लिया जाता था.

-अब दुःख मापा जाता है.
-उसका दुःख कम मेरा दुःख ज़्यादा..
-इस आधार पर लोगों ने दुःख सुनना _और अपनी संवेदनाएँ देना तय कर लिया है.
-सच कहूँ तो सुन कोई नहीं रहा होता है _और झूठी संवेदनाएँ सबके पास है.
– असल में दुःख बाँटने की अवधारणा इतनी खोखली है _ये कोई जानना ही नहीं चाहता है..
-अनसुने किए गये दुःख, और झूठी संवेदनाओं के इस दौर से ही दुःख का कारोबार अच्छा चल नहीं रहा.
_दुःख बेच तो सब रहे हैं, पर दुःख इस बात का भी है कि _ख़रीदार यहाँ कोई नहीं.
– खुश दिखने वाले चेहरों का यहाँ बेशक़ीमती मोल है.
– दुःख से भरे चेहरों की क़ीमत _कबाड़ी की दुकान में पड़े रद्दी से भी कम है.
_वास्तविकता यही है, मुँह नहीं मोड़िए..
यदि आपके निजी जीवन के द्वन्दों मे कोई दखल दे रहा है, मतलब उसने आपके कमजोरी को भांप लिया है__ यह वक्त है आपके मजबूत होने का और उन लूप होल्स को बन्द करने का जो आपको कमजोर कर रहा है.

यदि किसी भी व्यक्ति को आपकी कमजोरी, आपकी दुर्बलता के बारे में पता चला… तो कोई भी हो, वह आपका सगा-सम्बंधी भी क्यूँ न हो… उसका फायदा जरूर उठाएगा…!!!

बुद्धिमान आदमी मूर्ख बनता हुआ प्रतीत हो सकता है, लेकिन उसे कोई मूर्ख बना दे ये भूल है ;

मूर्ख लोग बनते हैं, जो उसके आगे के प्रोग्राम को समझ नहीं पाते “ बुद्धिमान को मूर्ख नहीं बनाया जा सकता ”

अक्सर लोग इसलिए आप की खुशियां बर्बाद करेंगे, क्योंकि उनके पास कुछ अच्छा करने के लिए नहीं है, या वह अपनी जिन्दगी से नाखुश हैं. इसलिए अपने रुख पर अडिग रहो.

“– खुशखबरी सबको नहीं बतानी चाहिए, क्योंकि हर कोई उस खुशखबरी से खुश नहीं होता.–“

हर व्यक्ति को खुश रखने की कोशिश करने वाला व्यक्ति एक दिन सबसे अकेला हो जाता है. अतः हमें  एक सीमा के बाद अपने मन की ही बात सुननी चाहिए.

हम लाख किसी के लिए अच्छा करते रहें. लेकिन, हमारी एक गलती पिछली सभी अच्छाइयों को धो कर रख देती है. हम लाख किसी की फिक्र करें, लेकिन यदि किसी समय हम किसी एक मौके पर कुछ भूल गए, तो सारा पिछला किया कूड़े के ढेर का हिस्सा बन जाता है. इसलिए आप कुछ भी करके किसी को हमेशा खुश नहीं रख सकते या यह कहें कि आप कुछ भी करके सबको खुश भी नहीं रख सकते. क्योंकि, लोगों की आपसे अपेछाओं का कोई अंत नहीं है. जैसे ही आप उनकी एक अपेछा पर खरे उतरे, आपके लिए तुरंत एक नयी शर्त उनके मन में तैयार हो जायेगी. इसलिए, अपना काम पूरी ईमानदारी और निष्ठां से करते रहें और आगे बढ़ते चलें,

क्योंकि हमेशा सबको खुश रख पाना पूरी तरह असंभव है.

अपने सपनों का पीछा करें और उन्हें पूरा करने की कोशिश करें. अगर आप ऐसा करेंगे, तब आप बहुत अच्छा जीवन जिएंगे. जो लोग अपनी पसंद का काम करते हुए जीवन व्यतीत करते हैं, वह अपने लाइफ को इन्जॉय करते हैं और ऐसे लोग ही खतरा उठाने का साहस भी करते हैं.
अपने आप को अपने लिए समय दें. काम और आराम के बीच संतुलन खोजें. ” जाओ दुनिया की सैर करो,”

ऐसे लोगों को खोजें, जो आपको महत्व देते हैं. अतीत में मत जियो, तुम्हारे पास देखने के लिए और भी बहुत कुछ है.

वहां जाएं जहां आप सबसे ज्यादा जीवित महसूस करते हों.

जो व्यक्ति दूर दृष्टि रख कर चलता है अर्थात आगे की ओर सोच कर कदम रखता है, जिस व्यक्ति में योजनाबद्ध तरीके से चलने की आदत है, जिसने अपने आपको पूरी तरह व्यवस्थित किया हुआ है, अपने ह्रदय को आनन्द से भरने की आदत है, जो महापुरुषों की तरह जीवन जीता है, किसी के सामने जिसके हाथ नहीं फैलते, जो दूसरों को आदर देना जानता है लेकिन स्वयं आदर पाने की कामना नहीं करता, जिस व्यक्ति का ह्रदय विशाल है, जिसको प्रेम बाँटना आता है – ऎसी सारी परिभाषा को जोड़कर मनुष्य का स्वस्थ होना कहलाता है.
आप करते कुछ और हैं, बोलते कुछ और हैं, दिखाते कुछ और हैं, सोचते कुछ और हैं, _

_ लेकिन आप की हकीकत कुछ और हैं ;

इतने सारे चेहरे ले कर ज़िंदगी में ख़ुशी और सफलता की तलाश तो क्या, उम्मीद भी मत करना..

जिंदगी बहुत छोटी है. यह केवल उन लोगों के लिए लंबी है, जिनकी हालत दयनीय है. इंसान के पास जो विशाल संभावना है उसको देखते हुए हमें जो जिंदगी दी गयी है, वह बहुत ही छोटी है.

लेकिन, उसमें भी लोग बोर हो जाते हैं और इस जीवन की सरलता को जाने बिना ही अपने आप को खत्म कर लेते हैं.

क्योंकि लोगों के शारीरिक और मानसिक नाटक_ जीवन के अस्तित्व की वास्तविकता से_ कहीं ज्यादा बड़े हो जाते हैं.

जब आप अपने घर की सफाई को ले कर इतने ज्यादा सतर्क रहते हैं, तो फिर अपने दिमाग को ले कर क्यों नहीं ? क्यों आप किसी व्यक्ति को अपने दिमाग में कूड़ा भरने की इजाजत देते हैं ?

…………….इस बारे में सोचें, ताकि आप का दिमाग बेहतर काम कर सके.

कई लोग यह समझ नहीं पाते कि किसी की बुराई, गॉसिप, नकारात्मक विचार दरअसल दिमाग के लिए कूड़ा ही है. ये न केवल आपकी कार्यछमता कम करते हैं, बल्कि लोगों से आप को दूर भी करते हैं.

……………………….इसलिए दिमाग में न जमा होने दें, विचारों का कूड़ा.

जब हम अपने घर की साफ सफाई और रंग रोगन आदि करते हैं तो हमारी दिनचर्या अस्त व्यस्त हो जाती है और हमें कई परेशानियाँ होती है. _ लेकिन कार्य पूरा होने के बाद बहुत सुकून मिलता है.

इसी प्रकार जीवन की उठा पटक भी अंततोगत्वा सुकून देती है, क्योंकि इस उठा पटक मे हमारे जीवन का बहुत सा कचरा साफ हो जाता है.

जिस दिन मैं दुनिया से चला जाऊंगा उस दिन लोग मुझे याद करेंगे, अगर आप ऐसा सोचते है तो ये आपकी गलतफहमी है, आपके आस पास बहुत से लोगो की मौत हुई है आप किसको याद करते हो ? लोग केवल इंसान के अच्छे कर्मों को याद करते है. इसलिए इस गलतफ़हमी में न रहे कि आपके चले जाने से किसी को कोई फर्क पड़ेगा.

इसलिए सिर्फ अच्छे कर्म करें और अपने लिए जीना शुरू करें। लोगों की ज्यादा परवाह न करें, या किसी बात के लिए दुःखी न होयें. एक दिन सबको चले जाना है. जीने पर ध्यान दें न की चिंता, तनाव, दुःख और काम चोरी पर.

कुछ लोग इतने सताये हुए महसूस करते हैं इस दुनियाँ में _ जैसे उनके आस – पास सब दुश्मन ही भरे पड़े हैं !_ जबकि ऐसा होता नहीं, _ बस मन का वहम होता है, _ और ज़िंदगी भर इस भ्रम में जीते रहते हैं..

अगर इंसान किसी के साथ दो पल बैठ कर हंसी मज़ाक न करे और बातें ना करे, __ अकेले – अकेले रह कर ज़िंदगी गुजारे , _ तब उसको ये सारी दुनियाँ मतलबी और दुश्मन ही नजर आती है..!!

जीवन में हर समस्या के अंदर एक उपहार होता है.. इसलिए जब आप समस्या का सामना करें तो परेशान न हों _

_ इसका अंत आपकी अपेक्षा से अधिक सुंदर हो सकता है.

आप किसी इंसान का दिल तब तक दुखा सकते हैं, _

_ जब तक वो आप से प्रेम करता है ..

शायद मुझे अब तक सब से अधिक गलत समझा गया है लेकिन इसका मुझ पर कोई असर नहीं ;

कारण केवल इतना है कि, मुझे सही समझे जाने की जिज्ञासा नहीं,

यदि वे सही नहीं समझते तो यह उनकी समस्या है, यह मेरी समस्या नहीं है,

यदि वे गलत समझते हैं तो यह मेरी नहीं उन की समस्या है, उन का दुःख है ;

मैं अपनी नींद नहीं खराब करूँगा, यदि वे मुझे गलत समझ रहे हैं..

बुरे वक्त में किसी से कोई आस मत रखिये.._ सभी एक से एक बहाने बना कर निकलने की कोशिश में रहेंगे…

_ आपकी मदद करने के लिए आप स्वयं पर्याप्त हैं…केवल रब से जुड़े रहें, _ सब अच्छा होगा…!!!!

मैं इस सच को स्वीकार कर चुका हूँ, कि मैं अकेला हूँ, मेरे साथ कोई नहीं है ;

इन सालों में मैंने बहुत कुछ देख लिया है, और बहुत कुछ सीख लिया है ;

अगर आप कुछ हैं तो ही आप के अपने भी आप के साथ आएंगे, आप के काम आएंगे, वरना कोई नहीं ;

कमजोरों का साथ कोई नहीं देता है, भले ही वह अपने ही क्यों ना हों, सगे ही क्यों ना हो ;

जब साथ देने की बात आती है तो वह कमियां गिनाने लग जाते हैं ;

कमियां मुझ में थीं, इस कारण आप ने मेरा साथ नहीं दिया, कमियों के बाद भी मेरा साथ देते, तभी तो अपने होते ;

लोगों का साथ दिया दुनिया का साथ दिया, लेकिन मेरा साथ आप ने कभी नहीं दिया ;

मैं इस बात को स्वीकार कर चुका हूं, कि मैं अकेला हूं, मेरा कोई नहीं है ;

यह बात अपने आप से पूछो, कि दिखावा करने के लिए आप ने बाहर बहुत कुछ दान दिया ;

लेकिन अपने घर में जिनको जरुरत थी, लेकिन आप ने उनको नहीं दिया ;

मैं इस सच को स्वीकार कर चुका हूँ, कि मैं अकेला हूँ, मेरे साथ कोई नहीं है..!!

“जिन्होने खुशियाँ देनी थी मुझे, क्यूँ उनसे दुख मैने पाए थे,

_मैं किससे फरियाद करता अपनेपन की, लोग सभी पराए थे.!!”

‘नक़ाब का सही मतलब, रिश्तेदारो से ही बेनकाब होते हैं, _ कहने को अपने होते हैं, पर जानें कब गैरों में शामिल होते हैं ,_ मीठी छुरी से क़त्ल कर के झुठे आंसू बहाने में माहिर.. ये दो चेहरे रख, _ उसे बखूबी निभाने वाले ये _ बेवफाई का सही वक्त, चुनने का हुनर कोई इनसे सीखे _

‘ घर होते हुए, बेघर बनाना कोई इनसे सीखे ‘

” जो रिश्तेदार और लोग आप की सबसे बड़ी खुशखबरी में भी खुश न हुए हों, _

_ ऐसे रिश्तेदारों और लोगों को आगे से कोई ख़ुशख़बरी मत देना “

मैंने बड़ी मश्क्कत के साथ ‘ना’ कहना सीखा है ; खास कर उन लोगों को जिन्हे मैं अपना समझता था, क्योंकि मेरे पीठ पीछे उन्होंने ही गन्दगी मचाई,

_ अब मैं आसानी से उन लोगों को ‘ना’ बोलकर अपनी धुन में रहता हूँ..

किसी का खास होना और किसी को अपना खास मानना, ये दो भ्रम बेहद खतरनाक है_ याद रखना आपका अच्छा बुरा सब कुछ आपको अकेले ही भोगना है तो बेहतर है भीड़ में भी अकेला बन के रह लिया जाए !!

बहुत समझदार होने की सबसे बड़ी दिक्कत यही होती है कि हर शख्स आपको अपनी परिस्थिति समझा के बच निकलता है और आप क्या महसूस कर रहे किसी को बता नही पाते !!

हम सबसे अधिक मूर्ख तब होते है जब हम भावनात्मक होते है !! और इस दुनिया में मूर्खों के लिए कोई सम्मान नहीं !!

जिस दिन आप लोगों के साथ वही करेंगे जो वो आपके साथ करते हैं उस दिन उनके लिए आप दुनियाँ के सबसे बुरे इंसान बन जाएँगे।

सामने वाला आपसे जो सुनना चाहता है उसे वही सुनाओ चाहे वो लाख गलत हो आप उसके सबसे खास लोगो मे से एक बन जाओगे ….

जरुरी नहीं कि सभी आप से खुश हों, मानसिक रूप से मजबूत बनना है तो _

_ कभी – कभी खुद को लोगों की नजर में अलग और बुरा भी बनाना पड़ता है..

कितनी ज्यादा गलतफहमी होती हैं ना हमे कि हम किसी के खास है

पर हकीकत तो कुछ और ही होती हैं
हमे लगता है हमारा प्यार करना, हमारा नाराज होना ये सब सामने वाले पर असर करता है पर नही
वो सिर्फ एक दिखावा होता है वो सिर्फ एक झूठ होता है
जो हमे ये यकीन दिलाने k लिए बोला जाता है कि हम खास है
उन्हें कोई फर्क नही पड़ता कि आप दर्द में हो या किसी मुसीबत में उन्हें बस अपने मतलब से मतलब होता है
अगर आप खुश हैं तो वो आपसे प्यार भरी बातें करते हैं
और अगर आप दर्द में है तो फिर उनके पास खुद उनकी कई समस्या है उनके पास खुद के लिए टाइम नही
तो आपके दर्द को सुनने का कैसे होगा
इस दुनिया मे सब अपने मतलब से ही किसी न किसी के करीब जाते हैं
कोई किसी का खास नही होता
सब वक्त की बात होती है
अगर वक्त अच्छा है तो आप लोगों की जान है
और अगर आपका वक्त खराब है तो आप लोगों के लिए अंजान
ये ही दुनिया की हकीकत है..
आप किसी को अपना समझ कर अपने दिल की बात बताते हैं और वो आप से बोर हो जाते हैं, इसलिए वो आप से बचते हैं,

_ दुनिया मतलबी है ” मेरे यार “

मुसीबत आने पर ग़ैरों से क्या गिला, _

_ जब अपने खून के रिश्तेदार व भरोसे वाले दोस्त तक किनारा कर लेते हैं !!

“- खूनी रिश्ते और दोस्तीयापा ..इन दोनो का बहुत कटुक अनुभव रहा है मेरा तो…..इसलिए मन में फोबिया बैठ चुका है..!!”

“–तमाशा मेरी ज़िन्दगी का हुआ, और कलाकार सब अपने निकले.”

हमारे जीवन के कार्यों का मूल्यांकन भी जब दूसरे करते है तब गणितीय विधि से उत्तर नहीं आते ;

_ अंक गणित में 2 और 2 = 4 होता है लेकिन वास्तविक जीवन में वह 22 भी हो सकता और 0 भी..!!

_ जिन्हें आप अपना समझते हैं या वे जो अपने हैं, भले ही उनके लिए आपने कितना भी किया हो, वे भी आपसे पूछ सकते हैं, ‘आखिर किया क्या आपने हमारे लिए ?’

लोग जब ये कहकर ताना मारें कि बहुत एटीट्यूड है तुममें, _

_ उनकी बातों की परवाह ना करना, _ क्योंकि बिना एटीट्यूड के तुम्हारी कीमत रद्दी से भी सस्ती हो जाएगी,

_ इसलिए जिन्दगी में एटीट्यूड का होना जरूरी है, सबको खुश रखकर चलना मुश्किल है _

_ क्योंकि आप यहाँ अपनी शख्सियत को बनाने आएं हैं, किसी का मनोरंजन करने नहीं,

_ लोगों की मदद करिए, सलाह दीजिए, केवल तब _ जब आपसे मांगी जाए, _बिन मांगे कुछ भी दिया तो अपनी तवज्जो खो बैठोगे,

_ लोगों की भीड़ में उन जैसे बनने की जगह ” अकेला रहकर विशेष बने रहना ज्यादा श्रेष्ठ है ! “

हमारे दुख का एक बड़ा कारण यह भी है कि हम खुद को अपनी नजरों में खुद को छोटा देखते हैं और दूसरे लोगों को ज्यादा मानते हैं..

_ आप अपना दुख सोच समझकर किसी दूसरे को सुनाएं _ क्योंकि अगर सामने वाला आप को नहीं समझ पा रहा है तो आपके दुख की धज्जियां उड़ने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा..!!

” – आप के साथ जो भी हुआ उस के लिए आप पूरी तरह ज़िम्मेदार नहीं हैं, लेकिन आप इस चक्र को तोड़ने के लिए ज़िम्मेदार हैं, इसलिए अपनी जिम्मेदारियां अपनाएं, अपना भविष्य खुद लें ;

यदि आप अपने वर्तमान को अपने अतीत द्वारा नियंत्रित करने देंगे तो आप अपने भविष्य को कभी भी नियंत्रित नहीं कर पाएंगे.

कल जो हुआ वह आपकी ज़िम्मेदारी नहीं हो सकता है, लेकिन आज आप कैसा व्यवहार करते हैं_ ये आपकी ज़िम्मेदारी है.-“

कई बार किसी को बार बार सफाई देने से, बेहतर होता है उससे दूर हो जाना ! बस शर्त ये है कि आप अपनी जगह निष्पक्ष रूप से सही हों, अकसर सबको अपना पक्ष ही सही लगता _ सारी दिक्कत यहीं से शुरू होती है ! समझदार लोग हमेशा दूर होने से पहले दूसरे को केवल एक बार अपना पक्ष रखने का अवसर जरूर देते हैं, _ जिससे उसकी परिस्थितियों को भी अनुभव किया जा सके और सही और गलत जाना जा सके. वो बात को समझने की क्षमता रखते हैं, लेकिन मूर्ख बिना सोचे – समझे और किसी को बिना सुने _ अपना फैसला सुना देते हैं और इसे वो so called self respect का नाम देते हैं. जिन्दगी में ऐसे मन्दबुद्धियों से हमेशा बचकर रहें ! स्वस्थ रहें मस्त रहें और अपनी कद्र करते रहें क्योंकि ये कोई तभी देगा जब खुद की वेल्यू पता हो ! बाहर कभी जीवन में अपनी कमियां मत बताओ बल्कि आत्मविश्वास दिखाओ, _ ऐसा आत्मविश्वास जो अभिमान से दूर लेकिन सन्तुलन के करीब हो.

“– कुछ लोगों में इतनी काबिलियत भी होती है, आप जितना भी अच्छा काम करें वो उसमें भी कमी खोज ही लेते हैं. ऐसे लोगों को कभी सफाई देने में अपना समय व्यर्थ ना करें, और ये वही लोग होते हैं जो खुद साधारण जीवन जी रहे होते हैं.–“

जरा इस बात पर भी सोचिए !!

लोग आप को आसानी से भूलने का इंतजार कर रहे हैं,

फिर आप किस के लिए दौड़ रहे हो ? और आप किस के लिए चिंतित हो ?

आप अपने जीवन के अधिकांश भाग यानी तकरीबन ८०% _ इस बारे में सोचते हैं कि आप के रिश्तेदार और पड़ोसी आप के बारे में क्या सोचते हैं ;

क्या आप उन्हें संतुष्ट करने के लिए जीवन जी रहे हैं ? जो किसी काम का नहीं !!

सबसे पहले प्राथमिकता खुद को दीजिए, उसके बाद सब कुछ है… अपना ख़याल रखिए !!

* ज़िन्दगी एक बार ही मिलती है, बस इसे जी भर के जी लो *..

ये जो अपने होने की आड़ में लोग हमारी जिंदगी में दखल देते हैं,_ इनके जीवन को जरा गौर से देखना _ ये वही लोग हैं जो खुद बहुत ग्लानि में जी रहे होते हैं _

_ ये स्वयं के ही बहुत बड़े विरोधी हैं_ वो तुम्हारा समर्थन क्या करेंगे_खैर मरने से पहले जग जाओ _

_ दोनों बाहें फैला के समेट लो अपनी जिन्दगी को__ बाद में वो भी खाक तुम भी खाक..

“– पहले ये लोग आपके बारे में अच्छा बोलेंगे उसके बाद आपके करीब आने की कोशिश करेंगे, _ फिर जब आप उन्हें अपना समझ उन्हें अपने करीब आने देंगे _ तो फिर आपके बारे में सब कुछ जानने की कोशिश करेंगे ; _ _आपकी हर बात हर चीज को पसंद करेंगे _ फिर एक दिन आपकी किसी छोटी सी बात का बुरा मान आप को छोड़ देंगे “

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लोग अक्सर पूछते हैं कि उन्होंने अपनों के लिए अच्छा ही अच्छा किया, लेकिन बदले में उन्हें अच्छा नहीं मिला और अन्त में उन्हें यह बताया गया कि उन्होंने किया ही क्या है या जो उन्होंने किया वो तो हर कोई करता है,

_ तो अब वो उनके लिए अच्छा करें या बुरा ; तो मेरा मानना है कि हमें तो अपना अच्छा ही करना है __ बुरा तो वो लोग स्वयं अपने लिए कर ही रहे हैं..

रिश्ते बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, बहुत प्यारे भी ..लेकिन ज़िन्दगी उससे भी ज़्यादा कीमती.

किसी रिश्ते को निभाने की कीमत ज़िन्दगी नहीं हो सकती है.

रिश्ते को उस हद तक निभाने की कोशिश करिए _ जहां तक आप खुद को ना मिटा पाएं.

जितना खुद को संभालकर रिश्ता निभा सकते हैं करें. _लेकिन कोई मजबूरी ना बनाएं.

अगर नहीं समझ आ रहा है तो _कई दफ़ा दूरियां बेहतरीन इलाज करती हैं.

ज़िन्दगी से प्यार करिए और अपने रिश्तों से भी… लेकिन रिश्ते को निभाने के बोझ में _ खुद को ख़त्म ना करें..

.. वक़्त दें खुद को भी और सामने वाले को भी… दिमाग को आराम दें _ और इत्मीनान से सवाल करें _ अपने आप से.

आपको अपने उलझे रिश्तों को सुलझाने का सिरा मिल जाएगा… और अगर नहीं मिले तो _ ज़िन्दगी का सिरा छोड़ने से बेहतर है _बाहर निकल आएं ऐसे रिश्ते से…

क्योंकि ज़िन्दगी छूटी तो वापसी के तमाम रास्ते बंद हो जाते हैं…

..मरने की आपके पास एक वजह होगी _लेकिन जीने की हज़ार वजहें हो सकती हैं.

जीवन में स्वार्थी एवम ईर्ष्यावान लोगों को खोने से कभी मत हिचकिये…ये जीवन को निराशा से अधिक कुछ नहीं देते..

_ परन्तु अपने खास एवमं शुद्ध रिश्तों को पहचाने और सुनिश्चित करें की कोई भी कीमत पर उन्हें न खोया जाय.

धोखा, फरेब से टूटे हुए, बिखरे हुए लोग बहुत मुश्किल से किसी पर दोबारा ऐतबार कर पाते हैं. _वो कह नहीं पाते हैं अपनी तकलीफ़ को, वो बोल नहीं पाते हैं अपने एहसास को. _वो घुटते रहते हैं अकेले ही अकेले और खो जाते हैं अपनी ही बनाई दुनिया में.

_ ऐसे बहुत से लोग हैं जो घुटन में जी रहे हैं, उनके पास कोई दरीचा नहीं है जहां से उन्हें कोई उम्मीद नज़र आए. _ऐसे में ग़र कोई अपनी तकलीफ़, दर्द कह रहा है तो उसको अगर आप सुन नहीं सकते, उसे आस नहीं बंधा सकते तो कम से कम किसी की तकलीफ़ पर हंसिए तो मत.

_ इस भागती, दौड़ती दुनिया में शायद मोहब्बत होना किसी को बेवकूफ़ी लगे, शायद किसी के लिए आंसू बहाना बेकार लगे, लेकिन ऐसे लोग होते हैं. _मोहब्बत के नाम पर फ़रेब खाए हुए लोगों के लिए उम्मीद का रास्ता बनिए. _ठीक है सब अपनी अपनी दुनिया में मस्त हैं, तो रहिए अपनी दुनिया में मस्त लेकिन जो टूटा हुआ है उसका मज़ाक बनाकर उसे चकनाचूर तो मत कीजिए.

_ हो सकता है कि मैं बेहद जज़्बाती बातें कर रहा हूं, हां क्योंकि मैं जज़्बाती हूं. मैं समझ सकता हूं किसी की तकलीफ़ को. _ ख़ुदा के वास्ते लोगों के जज़्बातों की खिल्ली मत उड़ाइए. ये टूटे बिखरे हुए लोग हैं बस पनाह चाहते हैं थोड़ी सी.

जहाँ तक मैंने अपने लोगों को आजमाया है तो ऐसा कोई अपना नहीं दिखा जो स्वार्थ एवम ईर्ष्या से न भरा हो.

केवल काम निकालने तक और अपने सुविधा अनुसार हर कार्य करने तक ही साथ रहा है.

ख़ैर; मुझे अफ़सोस है _ केवल अपना कीमती वक्त को उनके साथ जाया किया _ जो नहीं करना था…!!!

ऐसा क्यों होता है कि कोई अपना सगा भी किसी की तरक्की की खबर से जल उठता है ?

_ जिनके साथ सालों-साल रहा, वो भी मेरी तरक्की की खबर से खुश होने की जगह दुखी हो गए.
_ बात सोचने की है.
_ कोई क्यों किसी की खुशी में खुश नहीं है ?
_ ‘मैं हैरान होता हूं. ___ कोई कैसे किसी दोस्त या रिश्तेदार की तरक्की से जल सकता है ?
_ कोई कैसे अपने परिवार में किसी की कामयाबी पर बद नज़र लगा सकता है ?
_ और जो जल सकते हैं, बद नज़र लगा सकते हैं, उनसे कैसी दोस्ती ? कैसी रिश्तेदारी ?
— लेकिन क्यों ?
_ क्या हम इतनी बुरी दुनिया में जी रहे है कि कोई अपना सगा भी होते काम पर नज़र लगा दे ?
_ वो दिल से चाहे कि हे भगवान, इनका ये काम बिगड़ जाए ?
_ अगर ऐसा है तो वो रिश्तेदार कैसे ?
_ और वो दोस्त दोस्त ही क्या जो आपकी तरक्की पर खुश होने, पार्टी देने और लेने की जगह जल उठे ?
_ लानत है ऐसे दोस्तों पर..
_ लानत है ऐसे रिश्तेदारों पर..
— जो लोग आपकी तरक्की का मातम मना रहे हैं, उनसे तत्काल प्रभाव से दूर हो जाइए.
_ ये जलनखोर लोग, आपकी शिकायत करने वाले लोग ..आपके कभी थे ही नहीं.
_ बेशक आपकी ज़िंदगी में एक भी दोस्त, रिश्तेदार न बचें, लेकिन कभी नकारात्मक लोगों के साथ मत रहिए.
_ वो दोस्त हों, रिश्तेदार हों, चाहे दुनियादारी आड़े आ जाए, ऐसे लोगों को पहचान कर तत्काल प्रभाव से उनसे दूर हो जाइए.
— आजमाए हुए को दुबारा नहीं आजमाना चाहिए.
_ वो बाद में लाख चाह लें, आप उनसे दूर हो जाइए.
_ फोकस कीजिए अपने काम पर और उन्हें दिल से निकाल दीजिए.
“गहरी मार कबीर की, दिल से दिया निकाल”
— अच्छी तरह से रिश्ते् निभाने का सर्टिफिकेट लेने के बदले अपने आत्म सम्मान, मानसिक शांति व शारीरिक स्वास्थ्य की बलि चढ़ाना कौन सी बुद्धिमानी है;
_ मेरे भी कुछ रिश्तेदार हैं ..जो मेरी हर बात से जलते हैं,
_ पिछले कई वर्षों से मैं उनके तानों, हर अच्छे काम में मीन मेख निकालने की आदत से परेशान था.
_ उन्होनें कभी मेरी इज्जत नहीं की..
_ हमेशा चाहा कि मैं तरक्की ना कर सकूं,
_ जब जब हो सका मेरी राह में कांटे ही बिछाए,
_ रिश्ता इतना करीबी था की छोड़ना संभव नहीं था, लेकिन धीरे-धीरे इसने मुझे बीमार करना शुरू कर दिया.
_ आखिर में एक बार ..जब बात हद से बाहर हो गई तो ..कड़ा निर्णय लेते हुए ..मैंने उनसे दूर रहने का निर्णय ले लिया ;
_ खैर मैंने कभी नहीं चाहा था कि ..ऐसा हो ..पर सड़े हुए अंग को आखिर काटना ही पड़ता है ..तो काट दिया.
_ अब मैं खुश हूं ना किसी की सुनना, ना किसी को सुनाना,
_ हंसता हूं, गाता हूं, वॉक पर जाता हूं, दिन भर काम करता हूं, घर में शांति है, मन में खुशी है.
_ जलन करने वालों की बुरी नज़र से बचा हुआ हूं.
— जी हां, जब यह सब हो रहा था तब बुरा लग रहा था,
_ खुद पर भी संदेह हुआ कि मैंने सही किया या गलत..
_ पर आज घर में और अपनी सोच व सेहत में आए सुखद बदलाव देख कर लगता है ..जो हुआ अच्छा ही हुआ.
_ कुछ निर्णय तात्कालिक विरोध का कारण बनते हैं, लेकिन आगे के लिए वो अच्छे होते हैं.
मैं एक बात समझ गया कि हमारी जिन्दगी में अक्सर ऐसे लोग आएंगे जायेंगे जो कि हमारा कीमती समय और हमारी ऊर्जा को अपनी बेहूदा हरकतों से मिसयूज करने की कोशिश करेंगे _ लेकिन आपकी चाभी आपके हाथ में है..!!

जीवन में एक बात सीख लो कि आप, आपका समय, आपकी ऊर्जा, आपका शब्द, आपके विचार, बहुत कीमती हैं, इसको बचा के रखें और सही समय पर सही लोगों के सामने ही इसका इस्तेमाल करें..!!

जड़ों से उखाड़कर नई जमीन में पौधे को लगाकर पुनर्जीवित करना बेहद कठिन होता है,

_केवल धान का पौधा ही ऐसा है जो उखड़ने के बाद फिर रोपे जाने के बाद पनपता है..

_..लेकिन बाकी उखड़ते ही अधमरे हो जाते हैं या मुर्झा कर प्राणविहीन हो जाते हैं.

_केवल उनके प्राण बचते हैं _जिनकी जिजीविषा-शक्ति अत्यंत प्रबल रहती है.

_ पूरी दुनिया के लोग भटकते हैं, कोई रोजगार-व्यापार के लिए, कोई नौकरी के लिए, कोई आसरे के लिए, कोई पढ़ने के लिए, कोई कुछ जानने के लिए, कोई घूमने के लिए तो कोई अपना मुंह छुपाने के लिए..

_अपने घर को छोड़कर दूसरी दुनिया में जाने का निर्णय लेने वाले या तो अपने हालात से मजबूर होते हैं या वे दुस्साहसी होते हैं.

_ऐसा देखा गया है कि जिसने अपना घर-परिवार छोड़ा, किसी नई जमीन में जाकर बस गया, वह एक-न-एक दिन खुद को साबित कर देता है.

_गर्म-रेतीले रेगिस्तान में भटकता इंसान पानी और छांह की तलाश में अनवरत चलते रहता है,

_क्योंकि उसके पास और कोई विकल्प नहीं रहता.

अगर आपको लगता है कि सिर्फ आपकी समस्या ही सबसे बड़ी समस्या है… या आपका पावर ही सबसे बड़का पावर है तो वो सिर्फ हमारे भेजे के अंदर है.

एक तरह के माहौल मे रहने पे लगने लगता है कि आप जितना जानते और देखते हैं, वही सब कुछ है, पर वो होता एक रत्ती भर भी नही है.

आप हम एक ठो इतिहास, एक ठो सोच, एक ठो विचारधारा को लेकर जी रहे है तो खुद ही बीमार हैं, हमको और कोई बीमारी नही दे सकता. मर जाएंगे इसी बीमारी मे.

अगर हम किसी बड़े घर को देखते हैं तो हमें अपना घर छोटा लगता हैं ; लेकिन बड़े घर के अंदर हम जाएं और वहां कलेश हो, तनाव हो, अशांति हो तो हमें लगता है कि ..नहीं ..हमारा ही घर सही है ;

वैसे ही बहुत से लोगों को देखता हूँ जो दूसरे के जैसा बनना चाहते हैं ; लेकिन दूसरों को भी अगर ध्यान से देखें _उनके बर्ताव को, उनके स्वभाव को तो फिर लगेगा कि नहीं हम ही सही हैं..!!

ज़िन्दगी में महत्वपूर्ण लोग आते हैं और चले जाते हैं, और यह ठीक है.

दुर्भाग्य से, आपके जीवन में सबसे महत्वपूर्ण लोग रातोंरात अजनबी बन सकते हैं.

सौभाग्य से, कुछ अजनबी रातों-रात आपके जीवन में सबसे महत्वपूर्ण लोग बन सकते हैं.

यह प्रक्रिया दर्द देती है, लेकिन अगर इसे स्वीकार कर लिया जाए, तो यह आपके जीवन में लोगों की गुणवत्ता और उपयुक्तता में सुधार करने का काम करती है.

शांति पाने के लिए, आपको उन लोगों, स्थानों और चीजों से अपना संबंध खोने के लिए तैयार रहना होगा ..जो आपके जीवन में सारा शोर पैदा करते हैं.

_एक बार जब आपने मेरी शांति खो दी तो आपको मेरे से दूर जाना ही होगा.

_ किसी के जीवन में मैं कहां खड़ा हूं, इस पर सवाल उठाने के बजाय मुझे खुद बनना बेहतर था.

*— जब मैं प्रकृति में समय बिताता हूं, जैसे कि छोटी सैर करना या प्रकृति की सराहना करना, तो मुझे शांति मिलती है.–*

दर्द, वेदना, कष्ट, पीड़ा ये सभी दुःख भरे शब्द है, जो हर किसी के जीवन में कभी न कभी आते ही हैं। जब कभी भी ये हमारे जीवन में आते हैं, तो हम असहज हो जाते हैं और तड़पने लग जाते हैं.

_ये कभी अच्छे नही होते, मगर जो इन्हें अपने जीवन में अधिक सह लेता है, वह भविष्य में आने वाली छोटी-बड़ी मुसीबतों से उतना नहीं घबराता _जितना एक सुखी जीवन व्यतीत करने वाला घबराता है.

_हम सभी सामर्थ्य से भरे होते हैं, लेकिन हम अपने सामर्थ्य को तब तक नहीं जान पाते, जब तक कोई हमें बुरी तरह से दर्द या पीड़ा न पहुंचाए. _लेकिन दुनिया में हमें ये सब मिलता ही रहता है.
_जब भी हमें कोई दर्द या पीड़ा दे तो हमें उसमें कभी खो नहीं जाना चाहिए, क्योंकि यही दर्द और पीड़ा एक दिन हमारा इलाज बन जाता है.
_कभी-कभी हमें जानने-समझने के लिए ठोकरें खानी पड़ती हैं, आगे बढ़ने के लिए थोड़ा पीछे भी जाना पड़ता है और पाने के लिए कुछ खोना भी पड़ता है, तब कहीं जाकर हम जीवन का सबसे बड़ा सबक सीख पाते हैं और एक जौहरी की तरह बन जाते हैं, जो हीरा परखता है.
_लेकिन असली जौहरी वही होता है जो हीरा नहीं बल्कि किसी की पीड़ा परख सकता हो..
हम में से जो भी लोग धन पद प्रतिष्ठा या अपनी शानोशौकत की अकड़ रख कर चलते हैं,
_मैं उनसे पूछना चाहूँगा कि यह अकड़ किस लिए, ऐसा क्या है उनके पास _जो पहले इस धरती पर किसी और के पास नहीं रह चुका _
_और मेरा मानना है कि अकड़ वाले लोग जब भी इस धरती को छोड़ कर गए हैं, बड़ी बैचेनी और व्याकुलता में गए हैं,
_और जिनके पास रती भर भी अकड़ नहीं थी, वही इस धरती से शांति और तृप्ति लेकर गए हैं.
_जब भी अकड़ और एटीट्यूड [ मनोदृष्टि ] जरूरत से ज्यादा आ जाए तो एक बार हॉस्पिटल ज़रूर घूम आना..
_क्या अमीर क्या गरीब सबके चेहरे पर शिकन एक सी..जिंदगी की जद्दोजहद एक सी..
_फिर भी एटिट्यूड ना जाए तो शमशान भी घूम आना..
लोग अजीब हैं…!
यदि आप किसी की प्रशंसा करते हैं, तो वे सोचते हैं कि इसमें आपका अपना हित होना चाहिए. यदि आप प्रशंसा नहीं करते हैं, तो वे आपको ईर्ष्यालु कहते हैं ! यदि आप किसी की अतिरिक्त देखभाल करते हैं, तो उन्हें लगता है कि आप उनसे प्यार करते हैं.
यदि आप परवाह नहीं करते हैं, तो वे आपको स्वार्थी कहते हैं ! यदि आप नियमित रूप से अपने मित्र को संदेश भेजते हैं, तो वे आपको चिपचिपा कहते हैं. कुछ दिन बात न करो उनसे तो वो आपको गुरूर कहते हैं !
आप सारे संसार को कभी भी सुखी नहीं कर सकते, इसलिए केवल अपने रब को प्रसन्न करने का प्रयास करें, क्योंकि वही एक है जो आपके छोटे से अच्छे कर्म पर भी आपकी प्रशंसा करता है और आपकी वापसी की प्रतीक्षा करता है…!
“कौन कितने पाने में” _ यह बात सुनी सुनी सी लगती है..
_ पर यह बहुत कम सुना होगा, “मैं स्वयं कितने पानी में”
_ ऐसा इसलिए खुद को जांचने जानने वाले बहुत कम हैं और दूसरो को जांचने _ जानने वाले बहुत ज्यादा..!!
_ दूसरों को जानने से क्या लाभ, जब तक खुद को न जाने..
_ क्या कभी सोचा है कि खुद को जाने बगैर अगर जीवन व्यर्थ चला गया तो..
_ जीवन की भागा दौड़ी में इतना उलझ गया है इंसान कि _ उसे अब होश ही कहां रहता है..!!
अपना मुंह बंद रखें !!! एक घर खरीदना हो ?

अपना मुंह बंद रखें !!🙊एक नई कार खरीदना हो ?
अपना मुंह बंद रखें !!🙊शादी होना ?
अपना मुंह बंद रखें !! 🙊छुट्टी पर जा रहे हैं ?
अपना मुंह बंद रखें !! 🙊कोर्स करने जा रहे हैं ?
अपना मुंह बंद रखें !! 🙊पद्दोनती हुई ?
99% मामलों में हमारे सपने/दृष्टांत सच नहीं होते हैं, क्योंकि हम गलत समय पर गलत लोगों के लिए बहुत जल्दी अपना मुंह खोल देते हैं.
हम अपनी परियोजनाओं/सफलताओं को उन लोगों के साथ साझा करने में गलत थे, जो “दोस्त” होने का दावा करते हैं ;
नीची ईर्ष्या _लोगों के लिए पर्याप्त हैं, उसे खाने और फाड़ने के लिए, _इससे पहले कि ऐसा होता भी है, इसलिए … अपना मुंह बंद रखें !!!
आपके अधिकांश “दोस्त”, आपको अच्छा करते देखना चाहते हैं लेकिन _उनसे बेहतर कभी नहीं !!
और सिर्फ एक रिमाइंडर ! यहाँ तक कि परिवार के कुछ सदस्यों में भी छिपी ईर्ष्या होती है !!!
लेकिन, वे उसे रोक नहीं सकते जो परमेश्वर ने आपके लिए रखा है !
इसलिए अपना मुंह बंद रखें !!! “बुद्धिमान के लिए एक शब्द ही काफी है”
मेरे मरने के बाद…..

कुछ नहीं बदलेगा…. सब कुछ ऐसे ही रहेगा
ये रातें तो ऐसे ही रहेंगी बस जागने वाला मैं किसी गहरी नींद में सो चुका होऊंगा
ये कमरा, ये दीवारे ऐसे ही रहेंगी बस इनसे बातियाने वाला मैं अब मौन हो चूका होऊंगा हमेशा के लिए
ये कीबोर्ड, और माउस, टेबल कुर्सी सब ऐसे ही रहेंगे बस इन पर कौतुहल करने वाली मेरी उँगलियाँ अब निष्क्रिय हो चुकी होंगी।
ये लैपटॉप तब भी ऐसे बैटरी लो बताएगा लेकिन तब इसे चार्ज लगाने वाला डिस्चार्ज हो चूका होगा इस दुनिया से।
ये बिखरी पड़ी किताबें जिन्हे रोज मै समेटता था आज मुझे लोग समेटेंगे
और दूर कहीं ले जाकर मुझ पर लकड़ियाँ सजायेंगे लकड़ियों के नीचे मुझे दबाया जायेगा साथ ही दब जाएगी मेरी सारी ख्वाहिशे(नीली आंखों की) मेरे ड्रीम्स और मेरी वो पोस्ट भी जो मैंने फेसबुक पे ओनली मी कर के रखी है
फिर जलाया जाऊंगा मैं
मेरे साथ जल जाएँगी वो सारी बेहूदा लेख भी जो मै भविष्य में लिखता अगर जिन्दा रहता …
मेरे साथ मेरी वो भावनाये भी आग में दफन जाएँगी जो कभी व्यक्त न हुई
वो बातें जो मीठा सा रहस्य बनी हुयी थी मेरे ह्रदय में वो सब उन आग की लपटों में उड़ जाएँगी
कुछ फोर्मेलटीस होगी मेरे अपने सम्बन्धियों द्वारा
मेरे फोटो पे RIP लिखा जायेगा , मुझे टैग किया जायेगा….
स्क्रीनशॉट लेकर शायद वो स्टैट्स लगाएंगे जो कभी रिप्लाई भी न करते
मेरा फोन चेक किया जायेगा किसी को मेरी डायरी मिलेगी…किसी को ये पेज
फिर बातों का दौर चलेगा। मुझसे घृणा करने वाले लोग भी अच्छी बात करेंगे, लोग कहेंगे बोलता कम था लेकिन अच्छा बोलता था ; _ ये सारी बातें महज कुछ दिन तक चलेगीं फिर सब कुछ वैसा का वैसा.
कुछ भी नहीं बदलेगा….
मेरे मरने के बाद भी सूर्य ऐसे ही निकलेगा, ऐसे ही सबेरा होगा
वो दूध वाला भी ऐसे ही रोज की तरह आया करेगा बस , उसे अब मैं नहीं दिखूंगा _ जो रोज यहीं मैडिटेशन किया करता था.
सब ऐसे ही खुश रहेंगे …… कुछ नहीं बदलेगा सब कुछ ऐसे ही
अनवरत चलता रहेगा…….
भूल जाना सीखो साहब, एक दिन दुनिया तुम्हारे साथ यही करने वाली है..
“मैं पल दो पल का शायर हूँ _ पल दो पल मेरी कहानी है”
— “एक दिन सब घर वापस लौटेंगे ; _ मुझे हमेशा के लिए अलविदा कहकर”

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