Once again you may have made some wrong decisions, but you’ve made a whole lot of right decisions, too. You’re better off than you were in your past and your future is getting brighter and brighter. See yourself as successful because what you set your focus on will become reality.
इन बेकार चीजों के बारे में चिंता मत करो ; _ उठो और स्वयं को ढालने के काम में लग जाओ ;
_परिणाम मास्टर के हाथों में हैं” – चारीजी
“Bitterness, disappointment, jealousy, meanness are reasults of a weak mind unable to face the realities of the world and wants everything ready-made. Don’t worry about these useless things. Be up and about the job of moulding the self. The reasults are in master’s hands.”- chariji
If you’re going to be happy and enjoy your relationships, it’s important to learn how to appreciate the differences and learn from the people in your life. Our assignment is not to fix people. Our assignment is to love people.
लेकिन क्या वे कहीं पहुंच रहे हैं या वे सिर्फ एक निश्चित धुरी पर चक्कर लगा रहे हैं ?
बच्चे सुबह-सुबह स्कूल भाग रहे हैं, माता-पिता उनके पीछे-पीछे भाग रहे हैं ताकि बच्चे समय पर अपनी बसें पकड़ लें ताकि वे समय से ऑफिस- दुकान जा सकें.
स्कुल के छात्र कौशल, तरकीबें और “ज्ञान” हासिल करने के लिए एक कक्षा से दूसरी कक्षा में भाग रहे हैं ताकि वे अच्छा पैसा कमा सकें ; _ वे सोच रहे हैं कि पैसा होने के बाद जीवन शानदार होगा ; _सब भाग रहे हैं और कोई कहीं नहीं पहुंच रहा है.
_ वास्तव में, भ्रम से भरा जीवन जीने से मानवता केवल अपना मूल्य खो रही है..!!
हम सभी खुशी से जीना चाहते हैं और यहां हम खुशी हासिल करने के लिए सबसे ज्यादा क्या करते हैं; सामान खरीद रहे हैं ; _ हम कार, घर, और बहुत सारे गैजेट्स और अन्य सामान खरीदते हैं और उम्मीद करते हैं कि हम इन भौतिक संपत्ति से खुश होंगे.
हम इस मूलभूत बिंदु को भूल जाते हैं कि जीवन में सबसे महत्वपूर्ण चीजें वास्तव में चीजें नहीं हैं.
आप लोग इस बारे में क्या सोचते हैं ?
_ जैसे ही एक समस्या का समाधान हो जाता है, वह समाधान नई जटिलताएँ, अन्य समस्याएँ प्रस्तुत करता है ..जो शायद पहले मौजूद नहीं थीं..!!
कुछ ऐसे लोग मिलते हैं जिन्हें मैं अपना लेना चाहता हूँ
कुछ ऐसी चीजें मिलती हैं जिन्हें मैं पा लेना चाहता हूँ
लेकिन ये सारी चीजें, पल, लोग मेरे लिये उस खूबसूरत दृश्य की तरह हैं, जो ट्रेन की खिड़कियों से दिखते जरूर हैं _ जिन्हें देखकर मन में एक काश होता जरूर है, लेकिन आप ट्रेन से उतरकर उनके करीब जाकर नहीं देख सकते _ क्योंकि ऐसा करने से फिर ट्रेन छूट जाएगी,
_ छूट जाएगी आपकी सारी प्राथमिकताएं, रिस्पांसिबिलिटीस…और बहुत कुछ…
_ लाइफ की रफ्तार से अपोजिट जाना कितना मुश्किल है
कितना मुश्किल है ट्रेन से उतरकर दृश्यों को देखना, उन्हें जी लेना…कितना मुश्किल !!
_ किसी ने उनका अपमान कर दिया ये तो समझ आता है _ लेकिन अपने किसी ने उनकी प्रशंसा नहीं कि वो इस बात का भी बुरा मान लेते हैं,_
_ और जब वो छोटी- छोटी बातों को अपने भीतर एक कचरे की तरह इकट्ठा करते चले जाते हैं _
_ फिर वही कचरे की सड़न उनकी सोच और उनके चेहरे पर दिखाई देने लगती है.
_ बहुत बुरा को जितना नुकसान पहुंचाना होगा, एक बार में पहुंचा देगा,
_ कम बुरा तिल- तिल कर, सड़ा- सड़ा कर यातना देता है..!!
जीवन में सब पसंद का नहीं होता, सारी उम्मीदें भी पूरी नहीं होती, कुछ कसक सबके मन में रह जाती हैं ; _ये कसक यदि किसी ने अपने दिल में ले ली तो उसका दुखी होना तय है.
_इसलिए इन सब बातों को ध्यान में रख कर जीवन को मस्त बनायें.
_ वहीं दूसरी तरफ जिनको बना बनाया सब मिला है, _ वो उतने समझदार या सहनशील नहीं हो पाते..!!
हमारा ही सब कुछ लपेट कर निकल लेता है और हम सिर्फ उसको देखते रह जाते हैं.
ज़िंदगी में कितने भी पीछे रह जाएँ, फिर भी सैकड़ों लोगों से आगे होगें..!!
अपनी जगह का लुफ्त उठाएँ, आगे पीछे तो दुनिया में चलता रहेगा…
_ आलोचनात्मक बनें और मूल्यांकन करें कि आप किस पर विश्वास करते हैं…
_ दूसरा व्यक्ति कहेगा कि मैं एक निर्दयी मूर्ख हूं; _उन दोनों पर विश्वास करें, मैं तदनुसार कार्य करता हूं.
Not everyone gets the same version of me. One person might tell you I’m an amazing beautiful soul. Another person will say I’m a cold hearted asshole Believe them both, I act Accordingly.
Never forget who helped you out while everyone else was making excuses.
और कम उम्र में मिला हुआ दुःख इंसान को समझदारी का उस्ताद बना देता है..!!
पहले ज़िंदगी को खुद ही उलझाते हैं, फिर खुद की ही पीठ थपथपाते हैं, _ सुलझाते हुए..
_क्योंकि लोग जैसे दिखते हैं, वो वैसे होते नहीं हैं !!
_ जहां से गुजर गए हो,,, वहां से गुजर ही जाओ … उसे पकड़ कर मत रखो..
— ” रुकिए, संभलिए फिर चलिए जनाब _ कब तक कहेंगे ” ज़माना है ही खराब “
दुनियां बस मजे लेती है सहयोग नहीं करती.
“– हममें इतनी ताक़त हमेशा होनी चाहिए कि अपने दुःख, अपने संघर्षों से अकेले जूझ सकें !!–“
“–दुख की बात है कि कुछ लोग आपका महत्व_केवल आपको खोकर ही जान सकेंगे..!!–“
If you want to live a happy life, tie it to a goal, not to people or things.
_इसलिए इंसान को बाहरी उन्नति के साथ भीतरी प्रगति भी करनी चाहिए..!!
_ रस्सी को सांप और सांप को रस्सी समझ लेते हैं.
_ वे उनका उपयोग करने का प्रयास करते हैं..!
राय पर _ निर्भर रहना पड़ेगा. _ जो खुद़ को नहीं जानते..
_ आपको यह न बताने दें कि आपको फीते कैसे बाँधने हैं..!!
बेवजह विनम्रता दूसरों के अहम को बढ़ावा देती है..!!
_ सिर्फ मर्ज़ी का सच सुनने वालों की तादाद बढ़ गयी है..
समझ लो _ वो लोग अपने लिए और संकट खड़े कर रहे हैं..
_ जब वो खुद के लिए कम और दूसरों के लिए ज्यादा जीता है.
_ समस्या का समाधान करके _ ” चिंता को समाप्त करना “
_ वो कभी भी आप का अपना नहीं हो सकता !!
जो आपके सभी प्रश्नों का उत्तर होगा..!!
_ तभी इनकी असलियत सामने आ जाती है…
जो बुद्धिहीन है, वह किसी को भी हराने में उत्सुक होता है.
_ जबकि जो लोग ज्यादा जानते हैं वे कम बोलते हैं “
_ लेकिन हम उन लोगों को बदल सकते हैं _ जिनसे हम खुद को घेरते हैं.
_ मेरे अपने मुझे परेशानियों में देख कर हँसते रहे हैं, _
_ वो तो ग़ैर हैं जो मेरी मदद कर, दिल मेरा जीत जाते रहे हैं !!
_ उन्हें क्या मालूम शांत समंदर सा गहरा होता जा रहा हूँ मैं ..
_ इस बात का क्या मतलब है..??
_बहुत आसान होता है _ये कह देना कि..
..जाने दो ..जो हुआ.. सो हुआ..!!
_ वह फफोलों पर मरहम लगाने की बजाय उनमें पिन भी चुभो सकता है.
_ योग्य व्यक्ति की पहचान करना कोई आसान काम नहीं है.
और देखें _ आपका जीवन दूसरों से सौ गुना जल्दी बदलता है ” आप ज्यादा स्मार्ट और ज्यादा बुद्धिमान हो जायेंगे “
सिर्फ सच्चाई और ईमानदारी से जीता जा सकता है.
_ तो समझ लेना ..आप ने खो दिया है उस इंसान को !!
_ सब अपने हैं, _ यही तो झूठे सपने हैं !!
और आपके लिए उस समय तक सभी लोग अच्छे हैं _ जब तक आप उनसे कोई उम्मीद न रखो..
जब भी बंद करो _ उसी दिन _ पिछली सारी अच्छाइयां _ बुराई में बदल जाती है..
मैंने वो कमाया जिसे दिखाया नहीं जा सकता, मेहनत दोनों में ही है.
सोचना जरुरी है, लेकिन बहुत ज्यादा सोचने से बचना चाहिए.
जिस दिन हम उन मुद्दों पर चुप्पी साध लेते हैं _ जो मायने रखते हैं.
बाकी सब तो खड़ा किया गया समस्याओं का पहाड़ है _
अपने मन को दुविधा जनक स्थिति में नहीं पहुँचने देना ही, जीवन की कामयाबी की दास्ताँ है.
_ कमल के फूल और हर भूल से सीखेँ.
कुछ तूफान _ रास्ता साफ करने भी आते हैं..
क्यूंकि आप सिर्फ सुन रहे हो और वो महसूस कर रहा है..
हर आग से हो जा वाकिफ तू जलना सीख ले;
कोई रोक नहीं पायेगा बढ़ने से तुझे मंज़िल की तरफ;
हर मुश्किल का सामना करना तू सीख ले “
परेशाँ करने वालों की मगर परेशानी नही जाती..!!
_ आपको मिलने वाले एक और धोखे का प्रमुख संदेश है..
जब बहुत सारे लोग उसकी नरमी का ग़लत फ़ायदा उठा चुके होते हैं.
“All the good thoughts and advice has already been given out in the world and there is nothing really new to say. Now the only thing we need to do is to “FOLLOW” it. ”
I don’t need much knowledge now,, I need practice to walk on what I have got.
_ हमारी ऐसी मान्यता हो गई है, की कुछ ना कुछ करते रहना चाहिए,
_ खाली बैठे रहने से अच्छा है, की कुछ पैसे कमा लो, किसी की सेवा कर लो, या कुछ पढ़ लो,
_ पर किसी भी काम के बगैर खाली बैठे रहने पर हमारा मन शांत होता है.
किसी भी पन्ने पे, _ ये नहीं लिखा होगा कि, _ ” मैंने कभी भी हार मानी ”
इसे अपने अन्दर तलाशिये, जब खुशियाँ अन्दर से बाहर आएँगी तो स्थायी होंगी.
आनन्द, न धन में है, न बडे मकान में है, न बड़ी बड़ी कारों में है, न उच्चे पदों में है, जब तक आदमी नशे में है, बेहोश है, तब तक किसी भी चीज़ से आनन्द उपलब्ध नहीं हो सकता । ध्यानी व्यक्ति ही, यानी होशपूर्ण जागृत व्यक्ति ही आनन्दित हो सकता है, ध्यानी व्यक्ति को ही धन में, बड़े मकान में या कारों में, पदों में आनन्द आता है, जो ध्यानी नहीं, उसे कभी आनन्द उपलब्ध नहीं हो सकता, उसे पूरे विश्व की सत्ता भी मिल जाए तो भी उसे आनन्द उपलब्ध नहीं हो सकता है । आनन्द तो अन्तस की स्थिति पर निर्भर करता है, अन्तस शान्त है तो आनन्द ।- ओशो
अंजाम जो भी हो उसका ज़िम्मेदार सिर्फ और सिर्फ मैं होऊँगा, ये एहसास ही मुझे आज़ादी की अनुभूति करवाता है…
थक कर नहीं बैठा जा सकता… अनवरत चलना पड़ता है…फिर चाहे कुछ भी आए सामने…
एक संघर्ष ऐसा भी है जो व्यर्थ ही चलता है बस मानसिक है…वो है घर और रिश्तों से…
_ आपने नौकरी छोड़ कुछ अलग करना शुरू नहीं किया की लोग नाराज ही हो जाते हैं…_
_ अरे भाई जो कर रहे हैं कर लेंगे और नहीं कर पाए तो कुछ और कर लेंगे…माथा काहे पीटना…भूखे नहीं मरेंगे…
_ कुंठित रहकर पैसे कमाते रहने से अच्छा है कि जीवन में कुछ भूचाल ही आता रहे…
_ इससे जिंदा रहने का एहसास तो बना रहेगा…नहीं तो मौत आ ही चुकी होती है…बस शरीर जिंदा रहता है…
जिससे बात करो उसका, कुछ तल होना भी जरुरी है,
हम समय बर्बाद नहीं करते, हर एक से बात नहीं करते,
कुछ तो दम हो कहने वाले में, सब से संवाद नहीं करते..
आप ऐसे आनंद में डूब जाएंगे जो अनमोल है, यही जीवन का परम सुख है..
_ हमेशा के लिए खुश केवल कर्म मे मन लगाकर ही रहा जा सकता है..
1. नकारात्मक व्यक्तियों पर अत्यधिक वक्त न्योछावर करना.
2. गलत लोगों के बीच रहक़र उन्हें खुश रखना.
3. प्रमुख कार्यो को छोड़ अनावश्यक कार्यो में संलग्न रहना.
मोह, दर्द, तकलीफ, उम्मीद, बेबसी, सम्मान, अपमान, प्यार, मोहब्बत, डर, मृत्यु, जीवन एवमं रिश्तों से ऊपर उठ चुका हूँ.
मुझे रत्ती भर परवाह नही की दुनिया मुझसे क्या उम्मीद करती है और मैं उसके उम्मीदों पर कितना खरा उतरता हूँ.
_ अनगिनत चाहने वालों से, ” एक निभाने वाला बेहतर होता है “
*– इंसान सहन भी तभी तक करता है _ जब तक सहन करने की छमता होती है ;
_ उसके बाद वो ना तो रिश्तों को जरुरी समझता है और ना ही अपनों को..–*
_ पहले मैं किसी सगे संबंधियों से मिलने के लिए भी वक्त की भिक्षा माँगता था.
_ परन्तु अब न उनका कॉल आता है न मैं करता हूँ, अब रोक लिया खुद को कॉल और मैसेज करने से,
_कुछ वो भूल गए, कुछ मैं भूल गया..
_ अब समझ आता है कि उन्हें कोई जरूरत नहीं थी मेरी, मैं ही उनके पीछे था.
_ मुझे अपने बारे में एक बात से नफरत है कि _मैं उन लोगों पर बहुत अधिक समय बर्बाद करता हूं _जो मेरे सेकंड के लायक नहीं हैं.
_लेकिन जल्द ही, मैं अपनी उस आदत को बदलने जा रहा हूं,
_और फिर मैं खुद को बर्बाद करने के लिए जिम्मेदार नहीं रहूंगा.
कुछ यूं _ अपनी जिम्मेदारियों में _ उलझे रहे हम…
_ कुछ लोग रोने के इतने आदी होते हैं कि सिर्फ़ मुश्किलों को दुःख बताकर आँसू बहाने बैठ जाते हैं,
_ उन्हें ये समझाया जाना चाहिए कि रास्ते में पड़े भारी भरकम पत्थर को धक्का देकर हटाना मुश्किल मात्र है,
_ वो दुःख तब है जब धक्का देने के लिए तुम्हारे पास हाथ ही ना हो.
अगर हम इस एक बात को दिल से accept कर लें तो, ज़िन्दगी के बहुत सारे तूफ़ान थम जायेंगे और धीरे-धीरे सबकुछ पटरी पर आने लगेगा.
इस तरह के डर की वजह से निजी और प्रोफेशनल दोनों लाइफ प्रभावित हो सकती है. कड़े फैसले नहीं लेकर हम समस्याओं का समाधान नहीं करते हैं, उन्हें बढ़ाते हैं.
हमारी इस प्रवृत्ति से छोटी समस्या भी बड़ी हो सकती है. इसलिए जहां जरुरत हो, वहां हमें कड़े फैसले लेने से हिचकना नहीं चाहिए.
क्योंकि कल कुछ गलत होता है तो जान लो, वही लोग ये जिम्मेवारी नहीं लेंगे आप की ;
आप की अहित का कारण वो लोग हैं, वो अपना पल्ला झाड़ेंगे और बोलेंगे
उस वक़्त तुम ने क्यों नहीं विरोध किया.
क्योंकि ऐसे लोग आपको अपना गुलाम बनाना चाहते हैं _ और इनकी बातों में आकर इमोशनली ब्लैकमेल हो कर आपके द्वारा लिया गया निर्णय _
आगे चल कर _ आपको बरबाद कर सकता है.
सिवाय तिरस्कार, आत्मग्लानि एवंम नजरअंदाजी के…
कभी कभी हम किसी के बारे में अत्यधिक सोच लेते हैं और बाद में मिलता है
हमे अनोखा दर्द एवंम बेपनाह बुरा तजुर्बा….
ऐसे लोगों से कहो – पतली गली पकड़ और निकल ; कोई जरुरत नहीं अब तेरी.
” अपने आप को दुःख देना बंद करो “
क्योंकि हमेशा कोई न कोई कुछ ऐसा करेगा, जो आपको पसंद नहीं आएगा..
लोग उतना ही सोचेंगे, जितना उनका मानसिक विस्तार है !!
_ यूं बार बार रोने वालों को ये दुनिया नौटंकी समझ लेती है !
की अपने जीवन में उसकी अहमियत को कम कर दो..
_ क्योंकि मेरे जवाब से बेहतर वक़्त का जवाब होता है..
_ लोगों को दे देना _ बेवकूफ़ी की आख़री हद है !
_ हम बदला नहीं लेते, खुदा पे छोड़ देते हैं !!
_उतना ही करवाओ, जितना आप अपनों का कर सकते हो..!!
और संघर्ष के दम पर दुनिया जीत लेता है.
क्योंकि हमारी कमजोरियां ही दुश्मनों को ताकतवर बनाती हैं..
बल्कि खुशी होती है कि, चलो अच्छा हुआ ” छुटकारा मिला “
एक ही बात उसको कब तक समझाते, रुठने वाले का रूठना ही बेहतर था.
जैसे ये जिन्दगी, जिन्दगी नहीं, कोई इल्जाम है..
शिकायत करना, मिन्नते करना, मनाना और फिर दिल ऐसा हो जाता है,
कि कोई बात करें तो ठीक, कि ना करें तो भी ठीक ;
क्योंकि पता लग चुका होता है, कि दुनिया बहुत झूठी और मतलबी है.
_ अब इसीलिए मैं अब खुशियाँ चुनता हूँ.
_ हर छोटी-छोटी चीजों में सकारात्मक कोण ढूँढता हूँ..
..मुझे अब दुःख से लगाव नहीं रहा _क्योंकि दुःख समय द्वारा रचित क्षणिक परीक्षा है ..जो हमे देनी होती है !
— ” आप अपना ख़्याल ख़ूब ख़ूब रखना….क्योंकि आप ने अपना ख़्याल नहीं रखा तो आप का ख़्याल रखने कोई नहीं आएगा.!! —“
“–मेरे अपने मुझे मिट्टी में मिलाने आए, तब कहीं मेरे होश ठिकाने आए.!!–“
_ समय, भावनाएँ, नींद, सोच, इच्छाएँ व कभी-कभी अपनी खुशियां भी..
_ ताने उलाहने अलग से इन सब के साथ जबरन चले आते हैं..
_ चार सदस्यों के परिवार को सहेज के रखने में ही हालत खराब हो जाती है..!!
_ फिर अफ़सोस होता है कि ऐसे लोगों को अपना समझ रहे थे,
_ बस इमोशनल होने के कारण उनकी गुस्ताखियां सह रहे थे,
_ लेकिन सच बहुत सकून मिलता है उनसे नाता तोड़ कर..
अपने मन के गुलाम बने रहते हैं और मन, इनकी ज़िन्दगी बरबाद करता चला जाता है..
_ तो जीवन कुछ समय के लिए थोड़ा कम सुंदर ज़रूर हो सकता है, __ ” किंतु यह कुरूप कभी नहीं होता “
गलत है तो मत करो और सही है तो मन भर के करो.
“जिंदगी अपनी भी होती है और अपनी खुशी को भी जीना चाहिए जैसे भी”, बाकी कोई अपना नहीं होता है चाहे जितना करो.
हर किसी को खुश करने के लिए अपनी खुशियों का त्याग न करें, जो आप बनना चाहते हो वो बनो..
People will come back in your life after they get disappointed by people they thought were better than you.
लेकिन, उन्हें वापस स्वीकार करने में मेरे लिए बहुत देर हो जाएगी, क्योंकि मैं पहले ही अपने जीवन में आगे बढ़ चुका हूं.
But ,it will be too late for me fo accept them back , because I have already moved on with my life.
जब हमारा मन दुःखी होगा, तब हमारे शरीर में विषैले तत्व पैदा होते हैं और ये विषैले तत्व हमारे शरीर को मारते हैं.
यदि आप बैठ कर सोचेंगे कि आखिर यह मेरे साथ ही क्यों हुआ,
तो आप और अपने जीवन को स्वयं बर्बाद कर रहे हैं.
सफल होने का सबसे निश्चित तरीका है _ एक बार और प्रयास करना..
तब तक आपको अपनी सबसे बड़ी ताकत के बारे में पता नहीं चलता..
और लाख कोशिशों के बाद भी नहीं निकल पाते !!
एक दिन शिकायत तुम्हे वक़्त और जमाने से नहीं ….खुद से होगी,
कि ज़िंदगी सामने थी और तुम दुनिया में उलझे रहे…!!!
_ आगे के रास्ते को रोशन करने के लिए, रोशनी के एक टुकड़े को अंदर आने का रास्ता हमेशा मौजूद होता है.
_ जब मन किया मुझे याद किया..मन किया मुझे दरकिनार कर दिया…अब बस हुआ..कब तक दूसरों के मनानुसार चलूंगा..
..अब मैं अलगाव का दर्द सह लूँगा…अकेला रह लूँगा..
_ परन्तु ये ढोंगी लोगों से दूर रहना ही पसन्द करूँगा..!!!
_ लोग आपकी सराहना करेंगे…आसानी से उपलब्ध होने पर ही लोग आपको तुच्छ समझ लेते हैं….!!!
_ फिर वापसी पर आपकी वो अहमियत नहीं रहती _ फिर चाहे वो मकान हो या किसी का मुकाम हो..
लोगों को खुश करने में और यह जानने में बिता देनी होगी कि _ उन्हें क्या पसन्द है और क्या नहीं.
वरना ये आपको जीवन मे कभी आगे बढ़ने नहीं देगी…
उस वक्त सबसे जरुरी यह होता है कि आप सही रास्ते पर चलते रहें,
लोगों की गलतफहमियाँ वक्त के साथ खुद- ब – खुद दूर हो जाएँगी.
” जब रिश्ते अपशब्दों का शोर मचाते हैं, बेहतर है,
कान ढ़क, गहरी चुप्पी ओढ़, दूर निकल लिया जाये…”
जिसने आपको रुलाया हो… आपको जीवन के सबसे न्यूनतम बिंदु पर ला दिया हो…जिसने आपके आँसुओ को महज़ पानी समझा हो…वे आपके अपने कदापि नहीं हो सकते…कभी नहीं…!!!
_इस यात्रा में मुझे जो समझ में आया वह सब गड्ड-मड्ड हो गया _क्योंकि समय बदलने के साथ जो मुझे गलत लगता था _वह सही लगने लगा और जिसे मैं सही मानता था _वह गलत सिद्ध हो गया.
_जैसे बचपन की सिखावन के हिसाब से संयुक्त परिवार की व्यवस्था मुझे सर्वोपयोगी लगती थी _लेकिन मेरे अनुभवों के अनुसार संयुक्त परिवार कर्तव्यनिष्ठ लोगों के लिए यातनागृह और गैरजिम्मेदार लोगों के लिए शानदार ‘हनीमून पैकेज’, यानी खाओ, पियो, ऐश करो और रुआब बताओ.
– लेखक : द्वारिका प्रसाद अग्रवाल
मगर इन सब में फँस कर मैं स्वयं को दुःख नहीं दे सकता ,,_ बहुत झेला हूँ यार,, _ अब और नहीं ..!!!
“- फरेब की दुनियां मे परायों के बीच अपनेपन के झूठे अभिनय से थककर वास्तविकता को महसूस करने वाला एक आदमी सा हूँ मैं,,,”
मेरे पास दर्द का मजाक उड़ाने वालों की भीड़ है समझने वालों की नहीं.
यदि आपको अपने जीवन में सुकून एवं शांति चाहिए तो लोगों से अपेक्षा कम से कम ही रखिए, और बहुत ज़रूरत पड़ने पर ही उन्हें याद करें..
हद से ज्यादा अपेक्षा और बेवजह की आशाएं आपको जाने-अनजाने में दुःख ही पहुँचाते हैं, इसलिए अपने हिस्से का कर्म करके भूल जाइए और खुश रहें..
_ जीवन के हर पड़ाव पर आपको अपनी भावनाओं को छोड़ना होगा और वास्तविकता को स्वीकार करना होगा..
_ उसी छण हम एक भीड़ का हिस्सा हो जाते हैं !!!!
_ फिर कुछ करने के लिए..
ऐसी उम्मीद रखना मूर्खता भरी होगी, क्योंकि उम्मीद टूटने के बाद दुःखी भी केवल हम ही होंगे !
बाद में सब कहते तो हैं कि हमसे कह सकते थे ; पर जब- जब कहना चाहा था ” कोई सुनता न था “
*” मन भी जाने मुझे कितना भटकाता है, कभी तो लगता है किसी से इतनी बातें करूँ कि खुद को पूरा खाली कर दूँ, और कभी मन छुप जाना चाहता है दुनिया से,
_ ना कुछ करने का मन और ना किसी से बोलने का मन, घंटो सोचता ये मन कुछ नहीं सोचते हुए बस गुम होना चाहता है…”
इसलिए मेरा ऐसा मानना है कि कोई और नहीं सिर्फ आप ही खुद को मोटिवेट करके ऐसी सिचुएशन से बाहर निकालने में हेल्प कर सकते हैं, अच्छे मित्र बनाकर, उन से बात करके, उनके साथ टाइम एक्सपेंड करके, यकीन से नहीं कह सकता कि, ये बहुत आसान होगा, क्यूंकि आपका भरोसा सबसे उठ चुका होता है, तो एक बार फिर किसी पर भरोसा करना बहोत मुश्किल होता है, फिर भी कोशिश करनी चाहिए..
” कुछ भी इंपॉसिबल नहीं है “
ऐसा लगता है जिंदगी का बहाव किसी शांत जलाशय की तरह अपने वेग में चलते जा रहा है, वही शून्यवस्था जिंदगी की परिपक्वता है जहां आप दूसरो से बेहतर नजरिये से जिंदगी को देखते है !!
सभी समान लगने लगे हैं…इन सब में अहमीयत्ता केवल स्वयं की रह जाती है.
मौन ताकत बन जाता है और रब सबसे अच्छा मित्र…!!
यदि आप जीवन में किसी को खुद से भी अधिक महत्व देना शुरू कर दिए हैं… तो सम्भल जाईए क्योंकि बदले में दर्द, नाउम्मीदी एवमं निराशा के सिवा कुछ नहीं मिलने वाला और अवसाद के गिरफ्त में जाएंगे सो अलग….!!!
उम्र के उस पड़ाव पर हूं कि…अब किसी का साथ नहीं भाता, दरअसल जब कोई साथ होता है तो..जिंदगी बहुत आसान लगने लगती है और जब वो छोड़ जाते हैं. तो हम जीवन की सबसे निचली पायदान पे पहुंच जाते हैं, जहां सिवाय दर्द, बेबसी, अवसाद के कुछ नहीं मिलता,
इसलिए अब मैं एकांत से नाता जोड़ लिया हूं.
उसे इस बनावटी दुनिया से अधिक मोह नहीं रह जाता, _ क्योंकि वह थक चुका होता है_
_ अतीत में निभाए गए कई रिश्तों से…और उनसे मिले निराशजनक परिणामों से _
_ इसलिए अब वह अपनी ही विचित्र सी धुन में मगन रहने लगता है.
इसीलिए हम धीरे-धीरे उनके जीवन से निकल जाने का प्रयत्न करने लगते हैं.._ फिर उन्हें भनक लगे बिना स्वतः किनारे हो जाते हैं.
वह इंसान आपको तकलीफ दे रहा है तो, गलती शायद आपकी है.
आप उसे मौका दे रहे हैं, आपको हर्ट करने का ” उस से दूर न हो कर “
“-जब रिश्ते रुलाने लगें _ तब इग्नोर करना सीखो _ जिंदगी आसान हो जाएगी “,,
चालाकियां बताती हैं उनकी __ वे समर्पण के काबिल नहीं.
_ ये पूछ लेता हूँ कि _ कोई है तेरा _ जो तुझे खोने से डरता हो ?
जब होश आया तब देखा,_ जो रिश्ते सच मे अपने थे,_ उन्हें तो मैं_ संभाल पाया ही नही..
— हम ऐसे लोगों पर अधिक ध्यान देते हैं ” जो हमें नज़रअंदाज़ ” करते हैं,
और जो हम पर ध्यान देते हैं ” उन्हें हम नज़रअंदाज़ ” करते हैं..—
वो हमें सिखाते हैं कि _ भरोसा हमेशा _ सोच- समझ कर करना चाहिए..
कि आप वास्तव में उनके लिए कितना मायने रखते हैं..
_ क्यूंकि लोग जो दिखते हैं वैसे होते नहीं !!
यदि किसी भी व्यक्ति को आपकी कमजोरी, आपकी दुर्बलता के बारे में पता चला… तो कोई भी हो, वह आपका सगा-सम्बंधी भी क्यूँ न हो… उसका फायदा जरूर उठाएगा…!!!
मूर्ख लोग बनते हैं, जो उसके आगे के प्रोग्राम को समझ नहीं पाते “ बुद्धिमान को मूर्ख नहीं बनाया जा सकता ”
“– खुशखबरी सबको नहीं बतानी चाहिए, क्योंकि हर कोई उस खुशखबरी से खुश नहीं होता.–“
हम लाख किसी के लिए अच्छा करते रहें. लेकिन, हमारी एक गलती पिछली सभी अच्छाइयों को धो कर रख देती है. हम लाख किसी की फिक्र करें, लेकिन यदि किसी समय हम किसी एक मौके पर कुछ भूल गए, तो सारा पिछला किया कूड़े के ढेर का हिस्सा बन जाता है. इसलिए आप कुछ भी करके किसी को हमेशा खुश नहीं रख सकते या यह कहें कि आप कुछ भी करके सबको खुश भी नहीं रख सकते. क्योंकि, लोगों की आपसे अपेछाओं का कोई अंत नहीं है. जैसे ही आप उनकी एक अपेछा पर खरे उतरे, आपके लिए तुरंत एक नयी शर्त उनके मन में तैयार हो जायेगी. इसलिए, अपना काम पूरी ईमानदारी और निष्ठां से करते रहें और आगे बढ़ते चलें,
क्योंकि हमेशा सबको खुश रख पाना पूरी तरह असंभव है.
ऐसे लोगों को खोजें, जो आपको महत्व देते हैं. अतीत में मत जियो, तुम्हारे पास देखने के लिए और भी बहुत कुछ है.
वहां जाएं जहां आप सबसे ज्यादा जीवित महसूस करते हों.
_ लेकिन आप की हकीकत कुछ और हैं ;
इतने सारे चेहरे ले कर ज़िंदगी में ख़ुशी और सफलता की तलाश तो क्या, उम्मीद भी मत करना..
लेकिन, उसमें भी लोग बोर हो जाते हैं और इस जीवन की सरलता को जाने बिना ही अपने आप को खत्म कर लेते हैं.
क्योंकि लोगों के शारीरिक और मानसिक नाटक_ जीवन के अस्तित्व की वास्तविकता से_ कहीं ज्यादा बड़े हो जाते हैं.
…………….इस बारे में सोचें, ताकि आप का दिमाग बेहतर काम कर सके.
कई लोग यह समझ नहीं पाते कि किसी की बुराई, गॉसिप, नकारात्मक विचार दरअसल दिमाग के लिए कूड़ा ही है. ये न केवल आपकी कार्यछमता कम करते हैं, बल्कि लोगों से आप को दूर भी करते हैं.
……………………….इसलिए दिमाग में न जमा होने दें, विचारों का कूड़ा.
इसी प्रकार जीवन की उठा पटक भी अंततोगत्वा सुकून देती है, क्योंकि इस उठा पटक मे हमारे जीवन का बहुत सा कचरा साफ हो जाता है.
इसलिए सिर्फ अच्छे कर्म करें और अपने लिए जीना शुरू करें। लोगों की ज्यादा परवाह न करें, या किसी बात के लिए दुःखी न होयें. एक दिन सबको चले जाना है. जीने पर ध्यान दें न की चिंता, तनाव, दुःख और काम चोरी पर.
अगर इंसान किसी के साथ दो पल बैठ कर हंसी मज़ाक न करे और बातें ना करे, __ अकेले – अकेले रह कर ज़िंदगी गुजारे , _ तब उसको ये सारी दुनियाँ मतलबी और दुश्मन ही नजर आती है..!!
_ इसका अंत आपकी अपेक्षा से अधिक सुंदर हो सकता है.
_ जब तक वो आप से प्रेम करता है ..
कारण केवल इतना है कि, मुझे सही समझे जाने की जिज्ञासा नहीं,
यदि वे सही नहीं समझते तो यह उनकी समस्या है, यह मेरी समस्या नहीं है,
यदि वे गलत समझते हैं तो यह मेरी नहीं उन की समस्या है, उन का दुःख है ;
मैं अपनी नींद नहीं खराब करूँगा, यदि वे मुझे गलत समझ रहे हैं..
_ आपकी मदद करने के लिए आप स्वयं पर्याप्त हैं…केवल रब से जुड़े रहें, _ सब अच्छा होगा…!!!!
इन सालों में मैंने बहुत कुछ देख लिया है, और बहुत कुछ सीख लिया है ;
अगर आप कुछ हैं तो ही आप के अपने भी आप के साथ आएंगे, आप के काम आएंगे, वरना कोई नहीं ;
कमजोरों का साथ कोई नहीं देता है, भले ही वह अपने ही क्यों ना हों, सगे ही क्यों ना हो ;
जब साथ देने की बात आती है तो वह कमियां गिनाने लग जाते हैं ;
कमियां मुझ में थीं, इस कारण आप ने मेरा साथ नहीं दिया, कमियों के बाद भी मेरा साथ देते, तभी तो अपने होते ;
लोगों का साथ दिया दुनिया का साथ दिया, लेकिन मेरा साथ आप ने कभी नहीं दिया ;
मैं इस बात को स्वीकार कर चुका हूं, कि मैं अकेला हूं, मेरा कोई नहीं है ;
यह बात अपने आप से पूछो, कि दिखावा करने के लिए आप ने बाहर बहुत कुछ दान दिया ;
लेकिन अपने घर में जिनको जरुरत थी, लेकिन आप ने उनको नहीं दिया ;
मैं इस सच को स्वीकार कर चुका हूँ, कि मैं अकेला हूँ, मेरे साथ कोई नहीं है..!!
“जिन्होने खुशियाँ देनी थी मुझे, क्यूँ उनसे दुख मैने पाए थे,
_मैं किससे फरियाद करता अपनेपन की, लोग सभी पराए थे.!!”
‘ घर होते हुए, बेघर बनाना कोई इनसे सीखे ‘
” जो रिश्तेदार और लोग आप की सबसे बड़ी खुशखबरी में भी खुश न हुए हों, _
_ ऐसे रिश्तेदारों और लोगों को आगे से कोई ख़ुशख़बरी मत देना “
_ अब मैं आसानी से उन लोगों को ‘ना’ बोलकर अपनी धुन में रहता हूँ..
बहुत समझदार होने की सबसे बड़ी दिक्कत यही होती है कि हर शख्स आपको अपनी परिस्थिति समझा के बच निकलता है और आप क्या महसूस कर रहे किसी को बता नही पाते !!
हम सबसे अधिक मूर्ख तब होते है जब हम भावनात्मक होते है !! और इस दुनिया में मूर्खों के लिए कोई सम्मान नहीं !!
जिस दिन आप लोगों के साथ वही करेंगे जो वो आपके साथ करते हैं उस दिन उनके लिए आप दुनियाँ के सबसे बुरे इंसान बन जाएँगे।
सामने वाला आपसे जो सुनना चाहता है उसे वही सुनाओ चाहे वो लाख गलत हो आप उसके सबसे खास लोगो मे से एक बन जाओगे ….
_ कभी – कभी खुद को लोगों की नजर में अलग और बुरा भी बनाना पड़ता है..
_ दुनिया मतलबी है ” मेरे यार “
_ जब अपने खून के रिश्तेदार व भरोसे वाले दोस्त तक किनारा कर लेते हैं !!
“- खूनी रिश्ते और दोस्तीयापा ..इन दोनो का बहुत कटुक अनुभव रहा है मेरा तो…..इसलिए मन में फोबिया बैठ चुका है..!!”
“–तमाशा मेरी ज़िन्दगी का हुआ, और कलाकार सब अपने निकले.”
_ अंक गणित में 2 और 2 = 4 होता है लेकिन वास्तविक जीवन में वह 22 भी हो सकता और 0 भी..!!
_ जिन्हें आप अपना समझते हैं या वे जो अपने हैं, भले ही उनके लिए आपने कितना भी किया हो, वे भी आपसे पूछ सकते हैं, ‘आखिर किया क्या आपने हमारे लिए ?’
_ उनकी बातों की परवाह ना करना, _ क्योंकि बिना एटीट्यूड के तुम्हारी कीमत रद्दी से भी सस्ती हो जाएगी,
_ इसलिए जिन्दगी में एटीट्यूड का होना जरूरी है, सबको खुश रखकर चलना मुश्किल है _
_ क्योंकि आप यहाँ अपनी शख्सियत को बनाने आएं हैं, किसी का मनोरंजन करने नहीं,
_ लोगों की मदद करिए, सलाह दीजिए, केवल तब _ जब आपसे मांगी जाए, _बिन मांगे कुछ भी दिया तो अपनी तवज्जो खो बैठोगे,
_ लोगों की भीड़ में उन जैसे बनने की जगह ” अकेला रहकर विशेष बने रहना ज्यादा श्रेष्ठ है ! “
_ आप अपना दुख सोच समझकर किसी दूसरे को सुनाएं _ क्योंकि अगर सामने वाला आप को नहीं समझ पा रहा है तो आपके दुख की धज्जियां उड़ने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा..!!
” – आप के साथ जो भी हुआ उस के लिए आप पूरी तरह ज़िम्मेदार नहीं हैं, लेकिन आप इस चक्र को तोड़ने के लिए ज़िम्मेदार हैं, इसलिए अपनी जिम्मेदारियां अपनाएं, अपना भविष्य खुद लें ;
यदि आप अपने वर्तमान को अपने अतीत द्वारा नियंत्रित करने देंगे तो आप अपने भविष्य को कभी भी नियंत्रित नहीं कर पाएंगे.
कल जो हुआ वह आपकी ज़िम्मेदारी नहीं हो सकता है, लेकिन आज आप कैसा व्यवहार करते हैं_ ये आपकी ज़िम्मेदारी है.-“
“– कुछ लोगों में इतनी काबिलियत भी होती है, आप जितना भी अच्छा काम करें वो उसमें भी कमी खोज ही लेते हैं. ऐसे लोगों को कभी सफाई देने में अपना समय व्यर्थ ना करें, और ये वही लोग होते हैं जो खुद साधारण जीवन जी रहे होते हैं.–“
लोग आप को आसानी से भूलने का इंतजार कर रहे हैं,
फिर आप किस के लिए दौड़ रहे हो ? और आप किस के लिए चिंतित हो ?
आप अपने जीवन के अधिकांश भाग यानी तकरीबन ८०% _ इस बारे में सोचते हैं कि आप के रिश्तेदार और पड़ोसी आप के बारे में क्या सोचते हैं ;
क्या आप उन्हें संतुष्ट करने के लिए जीवन जी रहे हैं ? जो किसी काम का नहीं !!
सबसे पहले प्राथमिकता खुद को दीजिए, उसके बाद सब कुछ है… अपना ख़याल रखिए !!
* ज़िन्दगी एक बार ही मिलती है, बस इसे जी भर के जी लो *..
_ ये स्वयं के ही बहुत बड़े विरोधी हैं_ वो तुम्हारा समर्थन क्या करेंगे_खैर मरने से पहले जग जाओ _
_ दोनों बाहें फैला के समेट लो अपनी जिन्दगी को__ बाद में वो भी खाक तुम भी खाक..
“– पहले ये लोग आपके बारे में अच्छा बोलेंगे उसके बाद आपके करीब आने की कोशिश करेंगे, _ फिर जब आप उन्हें अपना समझ उन्हें अपने करीब आने देंगे _ तो फिर आपके बारे में सब कुछ जानने की कोशिश करेंगे ; _ _आपकी हर बात हर चीज को पसंद करेंगे _ फिर एक दिन आपकी किसी छोटी सी बात का बुरा मान आप को छोड़ देंगे “
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लोग अक्सर पूछते हैं कि उन्होंने अपनों के लिए अच्छा ही अच्छा किया, लेकिन बदले में उन्हें अच्छा नहीं मिला और अन्त में उन्हें यह बताया गया कि उन्होंने किया ही क्या है या जो उन्होंने किया वो तो हर कोई करता है,
_ तो अब वो उनके लिए अच्छा करें या बुरा ; तो मेरा मानना है कि हमें तो अपना अच्छा ही करना है __ बुरा तो वो लोग स्वयं अपने लिए कर ही रहे हैं..
किसी रिश्ते को निभाने की कीमत ज़िन्दगी नहीं हो सकती है.
रिश्ते को उस हद तक निभाने की कोशिश करिए _ जहां तक आप खुद को ना मिटा पाएं.
जितना खुद को संभालकर रिश्ता निभा सकते हैं करें. _लेकिन कोई मजबूरी ना बनाएं.
अगर नहीं समझ आ रहा है तो _कई दफ़ा दूरियां बेहतरीन इलाज करती हैं.
ज़िन्दगी से प्यार करिए और अपने रिश्तों से भी… लेकिन रिश्ते को निभाने के बोझ में _ खुद को ख़त्म ना करें..
.. वक़्त दें खुद को भी और सामने वाले को भी… दिमाग को आराम दें _ और इत्मीनान से सवाल करें _ अपने आप से.
आपको अपने उलझे रिश्तों को सुलझाने का सिरा मिल जाएगा… और अगर नहीं मिले तो _ ज़िन्दगी का सिरा छोड़ने से बेहतर है _बाहर निकल आएं ऐसे रिश्ते से…
क्योंकि ज़िन्दगी छूटी तो वापसी के तमाम रास्ते बंद हो जाते हैं…
..मरने की आपके पास एक वजह होगी _लेकिन जीने की हज़ार वजहें हो सकती हैं.
_ परन्तु अपने खास एवमं शुद्ध रिश्तों को पहचाने और सुनिश्चित करें की कोई भी कीमत पर उन्हें न खोया जाय.
_ ऐसे बहुत से लोग हैं जो घुटन में जी रहे हैं, उनके पास कोई दरीचा नहीं है जहां से उन्हें कोई उम्मीद नज़र आए. _ऐसे में ग़र कोई अपनी तकलीफ़, दर्द कह रहा है तो उसको अगर आप सुन नहीं सकते, उसे आस नहीं बंधा सकते तो कम से कम किसी की तकलीफ़ पर हंसिए तो मत.
_ इस भागती, दौड़ती दुनिया में शायद मोहब्बत होना किसी को बेवकूफ़ी लगे, शायद किसी के लिए आंसू बहाना बेकार लगे, लेकिन ऐसे लोग होते हैं. _मोहब्बत के नाम पर फ़रेब खाए हुए लोगों के लिए उम्मीद का रास्ता बनिए. _ठीक है सब अपनी अपनी दुनिया में मस्त हैं, तो रहिए अपनी दुनिया में मस्त लेकिन जो टूटा हुआ है उसका मज़ाक बनाकर उसे चकनाचूर तो मत कीजिए.
_ हो सकता है कि मैं बेहद जज़्बाती बातें कर रहा हूं, हां क्योंकि मैं जज़्बाती हूं. मैं समझ सकता हूं किसी की तकलीफ़ को. _ ख़ुदा के वास्ते लोगों के जज़्बातों की खिल्ली मत उड़ाइए. ये टूटे बिखरे हुए लोग हैं बस पनाह चाहते हैं थोड़ी सी.
केवल काम निकालने तक और अपने सुविधा अनुसार हर कार्य करने तक ही साथ रहा है.
ख़ैर; मुझे अफ़सोस है _ केवल अपना कीमती वक्त को उनके साथ जाया किया _ जो नहीं करना था…!!!
जीवन में एक बात सीख लो कि आप, आपका समय, आपकी ऊर्जा, आपका शब्द, आपके विचार, बहुत कीमती हैं, इसको बचा के रखें और सही समय पर सही लोगों के सामने ही इसका इस्तेमाल करें..!!
_केवल धान का पौधा ही ऐसा है जो उखड़ने के बाद फिर रोपे जाने के बाद पनपता है..
_..लेकिन बाकी उखड़ते ही अधमरे हो जाते हैं या मुर्झा कर प्राणविहीन हो जाते हैं.
_केवल उनके प्राण बचते हैं _जिनकी जिजीविषा-शक्ति अत्यंत प्रबल रहती है.
_ पूरी दुनिया के लोग भटकते हैं, कोई रोजगार-व्यापार के लिए, कोई नौकरी के लिए, कोई आसरे के लिए, कोई पढ़ने के लिए, कोई कुछ जानने के लिए, कोई घूमने के लिए तो कोई अपना मुंह छुपाने के लिए..
_अपने घर को छोड़कर दूसरी दुनिया में जाने का निर्णय लेने वाले या तो अपने हालात से मजबूर होते हैं या वे दुस्साहसी होते हैं.
_ऐसा देखा गया है कि जिसने अपना घर-परिवार छोड़ा, किसी नई जमीन में जाकर बस गया, वह एक-न-एक दिन खुद को साबित कर देता है.
_गर्म-रेतीले रेगिस्तान में भटकता इंसान पानी और छांह की तलाश में अनवरत चलते रहता है,
_क्योंकि उसके पास और कोई विकल्प नहीं रहता.
एक तरह के माहौल मे रहने पे लगने लगता है कि आप जितना जानते और देखते हैं, वही सब कुछ है, पर वो होता एक रत्ती भर भी नही है.
आप हम एक ठो इतिहास, एक ठो सोच, एक ठो विचारधारा को लेकर जी रहे है तो खुद ही बीमार हैं, हमको और कोई बीमारी नही दे सकता. मर जाएंगे इसी बीमारी मे.
वैसे ही बहुत से लोगों को देखता हूँ जो दूसरे के जैसा बनना चाहते हैं ; लेकिन दूसरों को भी अगर ध्यान से देखें _उनके बर्ताव को, उनके स्वभाव को तो फिर लगेगा कि नहीं हम ही सही हैं..!!
दुर्भाग्य से, आपके जीवन में सबसे महत्वपूर्ण लोग रातोंरात अजनबी बन सकते हैं.
सौभाग्य से, कुछ अजनबी रातों-रात आपके जीवन में सबसे महत्वपूर्ण लोग बन सकते हैं.
यह प्रक्रिया दर्द देती है, लेकिन अगर इसे स्वीकार कर लिया जाए, तो यह आपके जीवन में लोगों की गुणवत्ता और उपयुक्तता में सुधार करने का काम करती है.
_एक बार जब आपने मेरी शांति खो दी तो आपको मेरे से दूर जाना ही होगा.
_ किसी के जीवन में मैं कहां खड़ा हूं, इस पर सवाल उठाने के बजाय मुझे खुद बनना बेहतर था.
*— जब मैं प्रकृति में समय बिताता हूं, जैसे कि छोटी सैर करना या प्रकृति की सराहना करना, तो मुझे शांति मिलती है.–*
_ये कभी अच्छे नही होते, मगर जो इन्हें अपने जीवन में अधिक सह लेता है, वह भविष्य में आने वाली छोटी-बड़ी मुसीबतों से उतना नहीं घबराता _जितना एक सुखी जीवन व्यतीत करने वाला घबराता है.