जो व्यक्ति खुद में मस्त और खुश नहीं रह सकता,
_ उसको संसार की सारी दौलत मिल कर भी संतुष्टि नहीं दे सकती..
“-जो थोड़े से संतुष्ट नहीं है, वह किसी चीज़ से संतुष्ट नहीं है.”
“-खुश रहने का मतलब यह जानना है कि थोड़े से संतुष्ट कैसे रहा जाए.”
_ उसको संसार की सारी दौलत मिल कर भी संतुष्टि नहीं दे सकती..
“-जो थोड़े से संतुष्ट नहीं है, वह किसी चीज़ से संतुष्ट नहीं है.”
“-खुश रहने का मतलब यह जानना है कि थोड़े से संतुष्ट कैसे रहा जाए.”