निर्णय क्रोध में लिया गया हो या फिर भावनाओं में बह कर ;
अंततः दोनों ही पछतावे का कारण बनते हैं.
सुलझा हुआ मनुष्य वह है जो अपने निर्णय स्वयं करता है,
और उन निर्णयों के परिणाम के लिए किसी दूसरे को दोष नहीं देता..!
जब किसी को आपकी ज़रूरत हो और फुर्सत हो तो ‘आप ही आप’..
न हों तो करो माफ़…वाली policy चलती है.. __आपकी भावनाओं की कोई कद्र नहीं..