सुविचार – शब्द – शब्दों -161

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शब्दों को कोई भी स्पर्श नहीं कर सकता, पर शब्द सभी को स्पर्श कर जाते हैं.!!
शब्दों की अपनी तपन है, ये सुकून भी देते हैं और जला भी देते हैं.!!
अपने शब्दों में ताकत डालें आवाज में नहीं,

_ क्यूंकि बारिश से फूल उगते हैं, बाढ़ से नहीं….

जब कोई कहता है ‘आप कर लोगे’, ‘आप अच्छा करोगे’

_ इन छः शब्दों में छिपा होता होता है एक भरोसा..!!

“जो महसूस कर ले, उसे शब्दों की ज़रूरत नहीं,

_ और जो न समझे, उसे हज़ार तर्क भी कम पड़ जाते हैं.”

लोगों को उनकी हरकतों से समझना सीखो,

_ आप उनके शब्दों से बेवकूफ़ बनना छोड़ दोगे !!

आपके शब्द कितने भी महत्वपूर्ण क्यों ना हों,

_ सुनने वाला अपनी क्षमता के अनुसार ही समझेगा..!!

सोच-समझकर बोलिए.. क्योंकि शब्दों के ज़ख्म चाहे नज़र नहीं आते,

पर उनका असर उम्र भर रहता है.!!

शब्दों में इतनी आग होती है कि कभी-कभी खुद को भी आहत कर देते हैं.

_शब्दों में सिर्फ आग ही नहीं ठंडक और महक भी होती है, जो राहत पहुंचाते हैं..!!

शब्दो की परख नही होती है हमे, पर कई बार किसी न किसी वजह से वे अपनी तरफ खिंच लेते हैं

_ हमें पल्ले कुछ नहीं पड़ता पर फिर भी उन गहरे शब्दों को पढ़कर सुकून पा लेते हैं …!

शब्दों का भारीपन हर कोई झेल नहीं सकता,

_ इसीलिये वो ही शब्द मुँह से निकालें, जो आपको खुद के लिए अच्छे लगते हों.!!

शब्दों के प्रयोग में लहजे का भी ओहदा रखिए…

_ क्योंकि… शब्द आपके व्यक्तित्व को उजागर करते हैं !

_ और जहां आप मौजूद नहीं हैं …..वहां भी ये पूरी निष्ठा से आपका प्रतिनिधित्व कर रहे होते हैं..!!

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